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गुजारा भत्ते मामले में Delhi HC ने उमर अब्दुल्ला को दिया कोर्ट में पेश होने का आदेश

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पत्नी पायल अब्दुल्ला ने गुजारा भत्ता के लिए कोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है. उमर अब्दुल्ला ने इस सुनवाई को रोकने व अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती दी थी. जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने उमर अब्दुल्ला व पायल अब्दुल्ला के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को याचिका का निबटारा कर दिया.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला( फोटो स्त्रोत kashmirnewsobserver)
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  • Last Updated: December 2, 2017 10:56:53 IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को उनकी पत्नी से जुड़े गुजारा भत्ता संबंधी मामले में राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला को बिना किसी देरी के पेश होने का निर्देश जारी कियाहै. अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उमर को बिना देरी के निचली अदालत के समकक्ष पेश होने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने कहा कि फैमिली कोर्ट 12 दिसंबर को मामले में सुनवाई करे, उससे पहले उमर अब्दुल्ला को मामले में ध्यान देना चाहिए और वह कोई स्थगन आदेश की मांग नहीं करेंगे और बिना देरी किए शामिल होंगे.

बता दें कि उमर अब्दुल्ला की पत्नी पायल अब्दुल्ला ने गुजारा भत्ता के लिए अदालत में एक याचिका दायर कर रखी है. उमर अब्दुल्ला ने इस सुनवाई को रोकने व अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती दी थी. जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने उमर अब्दुल्ला व पायल अब्दुल्ला के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को याचिका का निबटारा कर दिया. अदालत ने अब्दुल्ला व उनकी पत्नी को 12 दिसंबर को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है.

इससे पहले अदालत ने  उमर अब्दुल्ला  की अर्जी पर आदेश को सुरक्षित रख लिया था, जिसमें दावा किया गया था कि पायल और उनके दो बेटों द्वारा दाखिल याचिका में उनसे जिस गुजारा भत्ते की मांग की गयी है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. पायल के वकील ने उमर की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि उमर अब्दुल्ला ने अपनी पत्नी को एक साल से अधिक समय से छोड़ रखा है, जिस कारण उन्हें अपने दो बच्चों की फीस चुकाने तक में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

उमर के वकील ने उच्च न्यायालय के सामने दलील दी थी कि पायल का अपना बिजनेस है और दिल्ली में एक घर भी है. इसलिए पहले उन्हें साबित करना होगा कि वह खुद का गुजारा नहीं कर सकतीं और उन्हें राहत मिलनी चाहिए. वकील ने यह दलील भी दी कि उनके बेटे अब वयस्क हैं और इसलिए गुजारा भत्ता नहीं मांग सकते. फैमिली कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 12 दिसंबर है.

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