Delhi Temperature: देश की राजधानी दिल्ली में इस समय गर्मी अपने चरम पर है। पारा लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और लू लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रही है। दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती ही जा रही है। गर्मी से बेहाल लोग परेशान हुए जा रहे हैं। आईएमडी के मुताबिक, “दिल्ली में फरवरी के महीने में न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह 1951 से 2025 के बीच सफदरजंग में फरवरी के महीने में दर्ज किया गया अब तक का सबसे ज्यादा न्यूनतम तापमान है। जिसने पिछले 74 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। इसके बाद भी गर्मी का कहर लगातार जारी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली की यह भीषण गर्मी कोई नई बात नहीं है? सौ साल पहले भी दिल्ली का तापमान उतना ही खतरनाक हुआ करता था और गर्मी से निपटने के उपाय भी बिल्कुल अलग हुआ करते थे.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि ब्रिटिश हुकूमत के दौर में भी दिल्ली की गर्मी से अंग्रेज अधिकारी परेशान रहते थे। गर्मी के मौसम में उन्होंने दिल्ली की जलवायु को अपनी डायरी और किताबों में खास जगह दी थी. उस समय तापमान को लेकर कोई आधुनिक तकनीक नहीं थी, लेकिन फिर भी कुछ रिकॉर्ड्स आज भी उपलब्ध हैं, जो चौंकाने वाले हैं।
माना जाता है कि 100 साल पहले दिल्ली में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता था. 1945 में यहां का तापमान 46.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था, जबकि 1971 में 44.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उस वक्त लोगों के पास कूलर या एसी जैसी सुविधाएं नहीं थीं। गर्मी से बचाव के लिए बंगलों और ऑफिसों की खिड़कियों पर मोटे कपड़े लगाए जाते थे, जिन पर ठंडा पानी डाला जाता था ताकि गर्म हवा अंदर न जा सके। सरकारी कार्यालयों में बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्ली रखी जाती थी ताकि कुछ राहत मिल सके।
इतना ही नहीं, दोपहर के समय दिल्ली की सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था. लोग गर्मी से बचने के लिए घरों में ही रहते थे। ऐसा लगता था जैसे कोई बीमारी फैल गई हो। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। यदि यह 40 डिग्री से ऊपर चला जाए, तो हीटस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि लोग खुद को हाइड्रेटेड रखें, हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें और धूप में निकलते समय सिर और मुंह ढककर रखें। दिल्ली की गर्मी अब भी उतनी ही जानलेवा है, जितनी कभी थी। फर्क सिर्फ इतना है कि आज हमारे पास उससे बचने के थोड़े और साधन हैं।