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Eclipse: सूर्य ग्रहण के दौरान जानवर कैसे करते हैं व्यवहार, जानें इस पर वैज्ञानिको ने क्या कहा

नई दिल्ली : इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा. ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी एशिया और दक्षिण-पश्चिमी यूरोप में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है. कुछ लोगों का मानना ​​है […]

Eclipse
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  • Last Updated: April 8, 2024 09:08:04 IST

नई दिल्ली : इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा. ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी एशिया और दक्षिण-पश्चिमी यूरोप में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है. कुछ लोगों का मानना ​​है कि जिन स्थानों पर सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देता, वहां सूर्य ग्रहण होना कोई बड़ी बात नहीं है,

सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण

लेकिन सूर्य और चंद्रमा पूरे ब्रह्मांड में एक जैसे हैं और इसलिए पूरे पर्यावरण पर एक निश्चित प्रभाव डालते हैं. तो आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण किसी एक जगह पर केवल कुछ मिनटों के लिए ही होता है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि सूर्य ग्रहण के दौरान दिन में अंधकार होने की जिस घटना से हम रोमांचित होते हैं, उसे देखकर जानवरों को कैसा महसूस होता होगा?

जानें इस पर वैज्ञानिको ने क्या कहा

Total Solar Eclipse

impacts of total solar eclipse on animals

जानवर सोने, भोजन ढूढ़ने, शिकार और दैनिक क्रियाकलापों के लिए बॉयोलॉजिकल क्लॉक पर निर्भर रहते हैं. इसमें सूरज की रोशनी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन ग्रहण किस तरह से इनकी दिनचर्या को बाधित करते हैं, ये समझना मुश्किल हो जाता है. इसकी वजह ये भी है कि ऐसी खगोलीय घटनाएं बहुत दुर्लभ होती हैं और सभी जानवर एक जैसी प्रतिक्रिया भी नहीं करते है. बता दें कि इसके प्रभाव को समझने के लिए सूर्य ग्रहण के समय जानवरों के पास रहकर उनके व्यवहार का अध्ययन करना ही सबसे सही तरीका है.

बता दें कि नौ दशक पहले, न्यू इंग्लैंड के जीवविज्ञानी विलियम व्हीलर ने पहली बार सूर्य ग्रहण के दौरान जानवरों का अध्ययन किया था, 1932 में उन्होंने सूर्य ग्रहण के दौरान जानवरों में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों की भर्ती की, और इस तरह उन्होंने पक्षियों, स्तनधारियों, कीड़ों और पौधों में होने वाले परिवर्तनों को दर्ज करते हुए 500 से अधिक डेटा एकत्र किया, जिसमें पाया कि ग्रहण के दौरान उल्लू आवाजें निकालने लगे और मधुमक्खियाँ अपने छत्ते में वापस लौट गईं.

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