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Face off Between Indian and Chinese Army: लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच धक्का-मु्क्की, बातचीत के बाद तनाव हुआ कम

Face off Between Indian and Chinese Army, Seema per Bhaarat or China Army ke bich Dhkka Mukki: लद्दाख में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना-सामना हुआ. इस घटना के दौरान दोनों के बीच धक्का-मु्क्की भी हुई. इसके बाद दोनों सैन्य टुकड़ियों में बढ़े तनाव को प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद कम किया गया. घटना बुधवार सुबह की है जिसकी जानकारी गुरुवार को आर्मी द्वारा दी गई है.

Face off Between Indian and Chinese Army
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  • Last Updated: September 12, 2019 09:57:33 IST

नई दिल्ली. भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक बुधवार को लद्दाख में सीमा के पास टकराव की स्थिति में थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों सेनाओं के सैनिकों के बीच उत्तरी तट पर पैंगोंग झील के पास धक्का-मुक्की हुई. हालांकि, दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद तनाव कम हो गया. कल प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद मामला पूरी तरह डी-एस्केलेटेड और शांत रहा.

बुधवार सुबह सैनिकों के बीच उस समय हाथापाई शुरू हो गई, जब 134 किलोमीटर लंबे पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर गश्त कर रहे भारतीय सेना के सैनिक पीएलए सैनिकों (चीनी सैनिकों) से भिड़ गए थे, जिन्होंने इलाके में उनकी मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी. चीन पैंगोंग त्सो झील के लगभग दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करता है जो तिब्बत से लद्दाख तक फैली हुई है. भारतीय सैनिक अपनी मौजूदगी को सही बताते हुए अड़े रहे और इलाके में अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया. इसके बाद, दोनों पक्ष अपने ठिकानों पर लौट आए.

भारत ने एक शिकायत दर्ज कराई है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग की मांग की. पीएम मोदी और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के बीच अहम बैठकों के एक महीने पहले बॉर्डर पर हाथापाई की नौबत आ गई है. यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना हुई है. पिछले साल अप्रैल में मोदी-शी वुहान शिखर सम्मेलन से पहले, चीनी सैनिकों ने 28 बार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओए) का उल्लंघन किया है. धारा 370 के निरस्त होने के चीन के विरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं.

मोदी सरकार द्वारा राज्य को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने के एक दिन बाद, चीनी विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध करते हुए एक बयान दिया था. तब से, चीन इस कदम की आलोचना में पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है और इस बात पर प्रकाश डाला है कि संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए और सावधानी के साथ काम करना चाहिए, विशेषकर उन कार्यों से बचने के लिए जो एकतरफा स्थिति को बदलते हैं और तनाव को बढ़ाते हैं.

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