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Fast track court: कानून मंत्रालय कि मांग, जारी रहने चाहिए फास्ट ट्रैक अदालतों का विस्तार

नई दिल्लीः केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कैबिनेट से मांग की है कि विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों के विस्तार का काम जारी रखा जाए। बता दें कि यौन अपराध के मामलों में जल्दी न्याय दिलाने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया गया था। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद साल 2018 में कानून […]

Fast track court: कानून मंत्रालय कि मांग, जारी रहने चाहिए फास्ट ट्रैक अदालतों का विस्तार
inkhbar News
  • Last Updated: October 5, 2023 16:05:57 IST

नई दिल्लीः केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कैबिनेट से मांग की है कि विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों के विस्तार का काम जारी रखा जाए। बता दें कि यौन अपराध के मामलों में जल्दी न्याय दिलाने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया गया था। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद साल 2018 में कानून में बदलाव किया गया था। इसके तहत केंद्र सरकार ने देशभर में 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का एलान किया था।

31 मार्च को खत्म हो गई थी योजना

बता दें कि देशभर के केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में विशेष अदालत का गठन किया गया था। जिसके लिए केंद्र सरकार ने फंडिंग की लेकिन अब तक 754 विशेष अदालतें ही बनाई जा सकी। कई राज्यों ने विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की बात कही थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। वहीं 31 मार्च को केंद्र सरकार की योजना समाप्त हो गई लेकिन कानून मंत्रालय के न्याय विभाग के लिए आगे भी फंडिग जारी रखने की अनुमति सरकार से ले ली है।

अब केंद्र सरकार अगले चार साल तक इस योजना को जारी रखने के लिए 1023 की जगह 790 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट हीं बनाएगी। इन योजनाओं पर सालाना 65 से लेकर 165 मामले निपटाने की जिम्मेदारी होती है। वहीं एक फास्ट ट्रैक कोर्ट पर सालाना करीब 75 लाख रुपए का खर्च आता है। अब कानून मंत्रालय ने इस व्यवस्था को जारी रखने के लिए केंद्रीय कैबिनेट से योजना का विस्तार करने की मांग कि है।