भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर 19 से 24 मई 2025 तक नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की छह दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे. यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा होगी. जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना है. विदेश मंत्रालय ने 18 मई को इस यात्रा की घोषणा की. जिसमें जयशंकर इन तीनों देशों के नेताओं और अपने समकक्षों से मुलाकात करेंगे.

ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक तनाव का वैश्विक मंच पर जिक्र

जयशंकर इस यात्रा के दौरान ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे. जिसे भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया था. इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे और इसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी. ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. जिसमें करीब 100 आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया.

पाकिस्तान ने 8-10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले की कोशिश की. लेकिन भारतीय सुरक्षाबलों ने इनका मुंहतोड़ जवाब दिया. 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) की हॉटलाइन बातचीत के बाद सीजफायर पर सहमति बनी. जयशंकर इस ऑपरेशन को आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति के रूप में पेश करेंगे और पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करेंगे.

पाकिस्तान पर भारत का कड़ा रुख

जयशंकर ने हाल ही में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद और पीओके के मुद्दे पर होगी. उन्होंने कहा सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी. जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोकता. यह रुख इस यात्रा के दौरान भी दोहराया जाएगा. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-पाक संबंध पूरी तरह द्विपक्षीय हैं और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है.
पहलगाम हमले के बाद भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) सहित कई देशों से समर्थन मिला. जयशंकर इस समर्थन का हवाला देते हुए नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की अपील करेंगे.

द्विपक्षीय और रणनीतिक सहयोग पर जोर

इस यात्रा का उद्देश्य भारत और इन यूरोपीय देशों के बीच आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है. नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी के साथ भारत के संबंध न केवल व्यापार और निवेश के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देते हैं.

नीदरलैंड: जयशंकर नीदरलैंड के विदेश मंत्री और शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे. दोनों देशों के बीच व्यापार, नवाचार और हरित ऊर्जा पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी.
डेनमार्क: डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने पहलगाम हमले की निंदा की थी और भारत के प्रति समर्थन जताया था. जयशंकर ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप और आतंकवाद विरोधी सहयोग पर जोर देंगे.
जर्मनी: जयशंकर जर्मनी के नए चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से मुलाकात करेंगे. भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर बात होगी.

वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका

यह यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीति को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का यह दौरा दुनिया को यह संदेश देगा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख बनाए रखते हुए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.
जयशंकर की यह यात्रा भारत-यूरोप संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है. खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीति में भारत की भूमिका लगातार बढ़ रही है. नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी न केवल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मजबूती देगी बल्कि आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी नए अवसर खोलेगी.

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