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प्रियंका गांधी से लेकर अनुराग ठाकुर तक, वन नेशन वन इलेक्शन की JPC कमेटी में होंगे ये 31 दिग्गज

संसद में एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक पर चर्चा हुई। इसके लिए 31 सदस्यीय जेपीसी का गठन किया गया। भाजपा सांसद पीपी चौधरी इसके अध्यक्ष होंगे। विपक्ष ने इसका विरोध किया है।

Priyanka Gandhi Anurag Thakur
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  • Last Updated: December 19, 2024 08:55:08 IST

नई दिल्ली-  देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है। इस समिति में 31 सदस्य हैं, जिनमें 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इस समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद पीपी चौधरी करेंगे। एक राष्ट्र एक चुनाव विधेयक को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है। अब इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है।

संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल बजट सत्र के अंतिम सप्ताह तक रहेगा, जब इस समिति को सदन के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। इसमें भाजपा के 10, कांग्रेस के तीन, टीएमसी, सपा, शिवसेना, एनसीपी (सपा), डीएमके, टीडीपी, आरएलडी और जनसेना के एक-एक सदस्य हैं।

जेपीसी में होंगे ये सदस्य 

  1. पी.पी. चौधरी
  2. डॉ. सीएम रमेश
  3. बांसुरी स्वराज
  4. परषोत्तमभाई रूपाला
  5. अनुराग सिंह ठाकुर
  6. विष्णु दयाल राम
  7. भर्तृहरि महताब
  8. डॉ. संबित पात्रा
  9. अनिल बलूनी
  10. विष्णु दत्त शर्मा
  11. प्रियंका गांधी वाड्रा
  12. मनीष तिवारी
  13. सुखदेव भगत
  14. धर्मेंद्र यादव
  15. कल्याण बनर्जी
  16. टी.एम. सेल्वगणपति
  17. जी.एम. हरीश बालयोगी
  18. सुप्रिया सुले
  19. डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे
  20. चंदन चौहान
  21. बी. वल्लभनेनी

दो तिहाई बहुमत जरूरी

एक राष्ट्र एक चुनाव से जुड़ा विधेयक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराने के लिए विशेष बहुमत की जरूरत होगी। जबकि अन्य विधेयकों को साधारण बहुमत से ही पारित कराया जा सकता है। अनुच्छेद 368 (2) के तहत संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से मंजूरी मिलनी होगी।

एक राष्ट्र-एक चुनाव क्या है?

‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। इसके तहत हर पांच साल में एक बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे। इससे बार-बार होने वाली चुनावी प्रक्रिया में लगने वाले समय, धन और संसाधनों की बचत होगी। केंद्र सरकार लंबे समय से दावा कर रही है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ चुनावी सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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