Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • भारत में पैर पसार रहा जीबीएस सिंड्रोम, मुंबई में वायरस से हुई पहली मौत, पुणे में 5 नए संक्रमित

भारत में पैर पसार रहा जीबीएस सिंड्रोम, मुंबई में वायरस से हुई पहली मौत, पुणे में 5 नए संक्रमित

नायर हॉस्पिटल में भर्ती 53 साल के एक मरीज की मौत का कारण जीबीएस वायरस के कारण मौत हो गई है। काफी दिनों से वह वेंटिलेटर पर थे। शुक्रवार को ही शहर में जीबीएस का पहला मामला सामने आया था। तभी 64 साल की एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

GBS syndrome
inkhbar News
  • Last Updated: February 12, 2025 12:12:21 IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर बढ़ता जा रहा है। मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती 53 साल के एक मरीज की जीबीएस सिंड्रोम वायरस से मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि मरीज काफी दिनों से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था।

वायरस ने ली जान

जानकारी के अनुसार, मरीज वडाला इलाके का रहने वाला था और बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में काम करता था। नायर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, वो काफी दिनों से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था। नायर हॉस्पिटल में भर्ती 53 साल के एक मरीज की मौत का कारण जीबीएस वायरल है। काफी दिनों से वह वेंटिलेटर पर थे। शुक्रवार को ही शहर में जीबीएस का पहला मामला सामने आया था। तभी 64 साल की एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

संख्या बढ़कर 8 हुई

इस मामले को लेकर बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि शहर के अंधेरी ईस्ट इलाके की रहने वाली महिला को बुखार और डायरिया के बाद लकवाग्रस्त होने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के अनुसार पुणे में पांच और लोगों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही इस बीमारी के संदिग्ध और पुष्ट मामलों की संख्या बढ़कर 197 हो गई है। जीबीएस से जुड़ी मौतों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है।

कितना खतरनाक है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) वायरस

GBS एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर हमला करता है। यह एक रेयर सिंड्रोम है। यह बीमारी पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (शरीर की अन्य नर्व्स) को प्रभावित करती है, जिससे मांसपेशियों तक सिग्नल पहुंचने में दिक्कत होती है। इसके कारण रोगी को उठने-बैठने, चलने और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कुछ मामलों में लकवा भी हो सकता है। यह बीमारी आमतौर पर किसी बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद होती है।

पुणे में E. कोली बैक्टीरिया का स्तर अधिक पाया गया है। हर साल पूरी दुनिया में इलके लगभग एक लाख से ज्यादा केस सामने आते हैं, जिनमें ज्यादातर मरीज पुरुष होते हैं। बता दें कि ये बीमारी आमतौर पर मेडिसिन से ठीक हो जाती है। मरीज 2-3 हफ्तों में बिना किसी सपोर्ट के चलने लगता है। हालांकि, कुछ मामलों में मरीज के ठीक होने के बाद भी उसके शरीर में कमजोरी बनी रहती है।

Also Read…

Pariksha Pe Charcha with Deepika: जीना नहीं चाहती थी तो मम्मी को बताया….दीपिका ने बच्चों से शेयर किया डिप्रेशन का दौर

Tags