नई दिल्ली। देशभर में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर रहे विरोध प्रदर्शनों में आज और एक कड़ी जुड़ गई। 18 जुलाई से अनब्रांडेड प्री-पैकेज्ड और प्री लेबल आटा, दाल, दही, गुड़ समेत कई खाद्य उत्पादों पर लगने वाले 5 फीसदी जीएटी के विरोध में आज पूरे देश में करीब 7300 कृषि उपज मंडियां, 13,000 दाल मिलें, 9,600 चावल मिलें, 8,000 आटा मिलें और लगभग 30 लाख छोटी चक्कियां बंद रखने की घोषणा की गई है।
हड़ताल करने वाले व्यापारियों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार जीएसटी वापस नहीं लेती है तो ये आंदोलन और तेज किया जाएगा। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल की कार्यकारिणी ने बताया कि कारोबार बंद में देशभर के करीब तीन करोड़ खुदरा व्यवसायी शामिल होंगे। संगठन के राष्ट्रीय चेयरमैन बाबू लाल गुप्ता ने कहा कि अनब्रांडेड खाद्य उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना जीएसटी की मूल भावना के खिलाफ है।
गौरतलब है कि, पूर्व वित्तमंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने कहा था कि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा. इसी को मद्देनजर रखते हुए यह विरोध किया जा रहा है क्योंकि सरकार के इस कदम से महंगाई और बढ़ेगी. बैठक में महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, हिमाचलप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़,उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, केरल, बिहार, कर्नाटक, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और दिल्ली आदि राज्यों के व्यापारी तथा उद्योगपति शामिल हुए.
वहीं, जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक 28 और 29 जुलाई को चण्डीगढ़ (Chandigarh) में आयोजित जीएसटी काउंसिल सदस्यों द्वारा केन्द्र सरकार को मांग की है कि सूचीबद्ध खाद्य वस्तुएं (Food Items) तथा ग्रेन्स आदि जो ब्राण्डेड की श्रेणी में नहीं आते इस एक्जेम्प्शन को समाप्त करते हुए यह मांग की जाती है कि प्री-पैकेज्ड तथा प्री-लेबल्ड रिटेल पैक जोकि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अन्तर्गत परिभाषित है, को एक्जेम्प्शन से एक्सक्लूड किया जाता है.
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