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High Court Ask question on Sonu Sood : सोनू सूद को कहा से मिली कोरोना की दवाएं? हाईकोर्ट ने सरकार को दिया जांच का आदेश

High Court Ask question on Sonu Sood : नेताओं और सोनू सूद जैसे सितारे के बारे में  बहुत सारी कोशिशों के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि रेमडिसिविर जैसी दवाएं कहां से हासिल कर के बांटते हैं. सोनू का कहना है कि हम तो माध्यम भर हैं, जबकि दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि वह सरकार के अलावा किसी और को दवाई देते नहीं.

Sonu Sood Sell Egg and Bread
inkhbar News
  • Last Updated: May 29, 2021 12:36:00 IST

नई दिल्ली. नेताओं और सोनू सूद जैसे सितारे के बारे में  बहुत सारी कोशिशों के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि रेमडिसिविर जैसी दवाएं कहां से हासिल कर के बांटते हैं. सोनू का कहना है कि हम तो माध्यम भर हैं, जबकि दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि वह सरकार के अलावा किसी और को दवाई देते नहीं.

सरकार ने ये दोनों बातें शुक्रवार को बॉम्बे हाइकोर्ट को बता दीं. हाइकोर्ट ने कहा है कि दोनों के बयानों में विसंगति है. अतएव जांच में चूक न की जाए. बेंच ने कहा, ऐसा लगता है कि मैन्यूफैक्चरर्स ने केंद्र को बताया है कि वे सिर्फ सरकार को ही दवाएं देते हैं. उधर, ड्रग इंस्पेक्टर की नोटिस पर सोनू सूद फाउंडेशन का कहना है कि उन्होंने मैन्यूफैक्चरर्स से कहा था और उन्होंने दवाएं दे दीं.  इन्होंने जान बचाई तो क्या हम भंडारा खाने आए थे? एलोपैथी विवाद के बीच बोले बाबा रामदेव; कहा- सच्चाई नहीं छिपा सकते.

यही समस्या है. सोनू सूद कह रहे हैं कि उन्होंने जुबिलेंट, सिप्रा, होरेटो कंपनियों से अपील की थी और उन्होंने दवाएं दे दीं. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि कंपनियों ने केवल सरकारी एजेंसियों को ही दवाएं दी हैं. केंद्र की नुमाइंदगी करते हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऐसा लगता है कि दवा देने का काम मैन्यूफैक्चरर्स ने नहीं किया, वरन् इस काम में सब-कॉन्ट्रैक्टर शामिल रहे हों. इस बाबत सरकार को पूछताछ करनी होगी.

अदालत ने सरकार को इस पर मौखिक आदेश दिया कि वह जांच में लगी रहे. कोर्ट ने कहा कि उसकी चिंता है कि नकली दवाएं न बंटने लगें और यह कि दवा वितरण में असमानता न हो जाए. भले ही ये लोग जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हों लेकिन नियम कानून तो नहीं तोड़े जा सकते.

‘दवा की लागत का भुगतान’? कोर्ट ने पूछा कि यह भुगतान किसने किया और किसको किया गया। क्या यह जवाब स्वीकार करने लायक है? क्या अफसरान ऐसे बयान पर यकीन कर लेते हैं?

उधर, सोनू सूद फाउंडेशन का कहना है कि उसने न तो कभी दवा खरीदी न जमा की. हमारे पास तो एक तंत्र है. हम सोशल मीडिया में मदद की मांग देखते हैं.  जो मांग सही प्रतीत होती है उसके लिए राजनीतिक नेताओं, पास के अस्पतालों से कहते हैं. फिर दवा बनाने वाले से कहते हैं कि वह अस्पताल की फार्मेसी के जरिए दवा का इंतजाम कर दे. हमने इंदौर, मुंबई, पंजाब समेत देश में कई जगह मदद दी है। यह मदद अस्पताल, फार्मेसियों और कंपनियों के जरिए की गई है.

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