Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के धुबरी जिले में सांप्रदायिक तनाव के बाद जारी किए गए “देखते ही गोली मारने” के आदेश का बचाव करते हुए रविवार को कहा कि आजादी के बाद से राज्य के खिलाफ चल रही “बड़ी साजिश” के संदर्भ में यह कदम जरूरी था। उन्होंने दावा किया कि ऐसी साजिशों को खत्म करने में समय लगेगा और सिर्फ चेतावनी से काम नहीं चलेगा।
सरमा ने एक आधिकारिक समारोह के बाद संवाददाताओं से कहा, असम एक महत्वपूर्ण राज्य है। सिर्फ चेतावनी देने से देश विरोधी गतिविधियां नहीं रुकेंगी। यह सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक साजिश है जिसकी जड़ें देश की आजादी के दिनों से जुड़ी हैं। इसे खत्म करने के लिए लगातार प्रयास जरूरी हैं।
मुख्यमंत्री का यह बयान धुबरी शहर में 8 जून को एक मंदिर के पास आपत्तिजनक मांस के टुकड़े मिलने के बाद सांप्रदायिक तनाव के बाद आया है। इससे झड़पें हुईं और कानून-व्यवस्था बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा और धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई, जिसे एक दिन बाद हटा लिया गया।
विपक्षी दलों ने सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने कहा कि पूरी घटना राज्य की खुफिया विफलता को दर्शाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा करने में विफल रही है। गोगोई ने मांग की कि फ्यूचर में किसी भी तनाव से बचने के लिए सभी संगठनों को पुलिस थानों में अपना पंजीकरण कराना चाहिए।
एआईयूडीएफ विधायक रफीकुल इस्लाम ने देखते ही गोली मारने के आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि “ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि गोली मारने का आदेश दिया गया हो। यह आदेश विशेष रूप से एक समुदाय को निशाना बनाने के उद्देश्य से जारी किया गया था।”
रायजोर दल के नेता भास्को डी सैकिया ने भी सरकार की आलोचना की और कहा कि प्रशासन असली दोषियों की पहचान करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, देखते ही गोली मारने का आदेश समाज को बांटने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ाने के लिए दिया गया था। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।
मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी बताया कि मंदिर की दीवार पर आपत्तिजनक सामग्री लिखने के आरोप में एक व्यक्ति को अरेस्ट किया गया है और उससे पूछताछ चल रही है। साथ ही उन्होंने दोहराया कि असम को राष्ट्र विरोधी ताकतों से बचाने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है। सरमा के मुताबिक, ईद से एक दिन पहले राज्य के कई हिस्सों में कथित तौर पर अवैध तरीके से मवेशियों का वध किया गया और धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए जानबूझकर मांस के टुकड़े फेंके गए। फिलहाल धुबरी में शांति बहाल करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन यह विवाद असम की राजनीति में नई बहस का केंद्र बन गया है।