नई दिल्ली। विक्की कौशल की फिल्म छावा ने संभाजी महाराज की वीर गाथा को एक बार फिर लोगों के दिलों में जगा दिया है। छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े सुपुत्र संभाजी महाराज थे। कहते हैं कि बहुत कम उम्र में ही उनको राजनीति की गहरी समझ थी। संभा जी का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ। वो शिवाजी महाराज की पहली और सबसे प्रिय पत्नी सईबाई के बेटे थे। महज दो साल की आयु में उनकी मां का निधन हो गया था। क्रूर औरंगजेब ने 32 साल की उम्र में उनकी निर्मम हत्या कर दी। उनकी जान लेने से पहले औरंगजेब ने उन्हें लंबे समय तक प्रताड़ित किया।
इस्लाम न कबूलने पर ली जान
यूरोपियन इतिहासकार डेनिस किनकैड़ लिखते हैं कि इस्लाम कबूल करने से इनकार करने पर संभाजी राजे और कविकलश को जोकर की पोशाक पहनाकर पूरे शहर में घुमाया गया। रास्ते भर उन पर पत्थर फेंके गए। उन्हें भालों से गोदा गया। इसके बाद उनसे दोबारा इस्लाम कबूल करने को कहा गया। दोबारा इनकार करने पर उन्हें और भी ज़्यादा यातनाएं दी गईं। दोनों की जीभ काट दी गई और उनकी आंखें निकाल ली गईं। एक बार फिर उनसे इस्लाम कबूलने के लिए पूछा गया। संभाजी ने लिखने की सामग्री मंगाई और लिखा कि अगर औरंगजेब अपनी बेटी भी दे, तब भी इस्लाम कबूल नहीं करूंगा।
शव के टुकड़े सिलकर किया अंतिम संस्कार
11 मार्च 1689 को उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके उनकी हत्या कर दी गई। कुछ लोगों के अनुसार, उनके शरीर के टुकड़ों को तुलापुर नदी में फेंक दिया गया था। लोगों ने उन्हें वहां से निकालकर उनके शरीर को सिल दिया और उसका अंतिम संस्कार किया। संभा जी महाराज की वीरता की तारीफ खुद उनका हत्यारा औरंगजेब करता था। कहा जाता है कि उन्हें मारने से ठीक पहले औरंगजेब ने संभाजी राजे से कहा था, “अगर मेरे चार बेटों में से एक भी तुम्हारे जैसा होता तो पूरा हिंदुस्तान कब का मुगल सल्तनत में बदल चुका होता।”
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