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CAA Protest: अपने देश में बोलने से मुझे कोई नहीं रोक सकता – नागरिकता संशोधन कानून पर टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान

Irfan Pathan on Jamia protest against CAA : नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर जहां एक तरफ देशभर में विरोध जारी हैं वहीं टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान भी जामिया के छात्रों का समर्थन कर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए थे. इस मामले पर लेख के जरिए उन्होंने कहा कि वह सबसे पहले भारतीय है और इसके बाद कुछ और.

CAA Protest
inkhbar News
  • Last Updated: December 18, 2019 20:01:40 IST

नई दिल्ली. नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में विरोध जारी है. नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर जामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी समेत कई विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन जारी है. इस विरोध करने वालों की सूची में क्रिकेटर इरफान पठान का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने जामिया छात्रों के समर्थन में ट्विट भी किया था जिसे लेकर कुछ यूजर ने उन्हें ट्रोल भी किया. खैर CAA पर अभी तक तमाम राजनीतिक, उद्योगपति, बॉलीवुड सितारे इस एक्ट की आलोचना कर चुके है. इसी राह में इरफान पठान ने इंडियन एक्सप्रेस न्यूज पॉर्टेल  के जरिए अपने विचार व्यक्त किये.

आर्टिकल में इरफान पठान ने अपने अनुभव साझे किये और बताया कि एक बार वह राहुल द्रविड़, पार्थिव पटेल और लक्ष्मीपति बालाजी के साथ लाहौर के एक कॉलेज में पहुंचे. इस दौरान हॉल में करीब 1500 बच्चे मौजूद थे. वहां सवाल जवाब किए जा रहे थे. इस बीच एक लड़की ने मुझसे गुस्से में पूछा कि मुस्लिम होने के बावजूद वह क्यों इंडिया की तरफ से खेलते हैं. इस सवाल पर मैंने जवाब दिया और कहा कि मैं भारत की ओर से खेल कर कोई एहसान नहीं कर रहा हूं. मैंने कहा कि भारत मेरा देश है. मेरे पूर्वज भारत के हैं. मैं खुद को बहुत ही भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे इस टीम की ओर से खेलने का अवसर प्राप्त हुआ.

इसके आगे वह लिखते हैं कि अगर में पाकिस्तान जैसे मुल्क में खुल कर इस बात को रख सकता हूं तो क्या मैं खुद के देश में अपनी बात नहीं रख सकता हूं. मैं सबसे पहले भारतीय हूं और इसके बाद कुछ और. मैंने ट्विट किया था कि यहां राजनीति का आरोप प्रत्यारोप चलता रहेगा. लेकिन मैं देश और जामिया के छात्रों के लिए चितिंत हूं. क्या इस वाक्य में कुछ गलत है या हीन भावना है जिसे लेकर वह ट्रोल हुए.

हर विषय के दो पहलू होते हैं. यहां पर यह बहुत जरूरी है कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना हमारा मौलिक अधिकार है.मैं उस ट्विट में यह कहना चाहता था कि जामिया में किसी प्रकार की जनहानि न हो, स्थिति और खराब न हो. ये छात्र हमारे बच्चे हैं, हमारा भविष्य हैं. क्या जामिया के छात्र हमारे नहीं है क्या आईआईएम के बच्चे हमारे नहीं हैं? क्या नॉर्थ ईस्ट, कश्मीर, गुजरात के बच्चे हमारे नहीं है? जी हां, ये सब हमारे बच्चें हैं. जब मैंने छात्रों की वीडियो और फोटो देखे तो मैंने अपनी चिंता व्यक्त की. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि छात्र जामिया के थे या कहीं ओर के.

छात्रों का समर्थन करने में कुछ गलत नहीं है क्योंकि ये हमारा भविष्य है.अगर कुछ गलत हो रहा है तो शांतिपूर्ण तरीके उन्हें ट्रेक पर लाने के कई शांतिपूर्ण तरीके हैं. अगर छात्र शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट करते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है. क्या मैंने अपने समाज के लिए कुछ नहीं किया? जी मैंने भी काफी कुछ किया है.

इसके आगे वह लिखते हैं कि जब मैंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के खिलाफ ट्विट किया था तो मैं इनका लाडला हो गया था. अब जब मैंने देश के बच्चों की भलाई के लिए कहा तो मैं गलत हूं. वैसे अक्सर हस्तियों से पूछा जाता है कि वह तत्काल मुद्दों पर अपनी राय क्यों नहीं रखते. इसीलिए हर व्यक्ति पर निर्भर करता है वह क्या कहते हैं और क्या नहीं.

इसके अलावा भी इरफान पठाने ने कश्मीर का एक उदाहरण दिया है और ट्रोल करने वाले यूजर को मुंह तोड़ जवाब दिया. अंत में वह लिखते हैं कि मैंने ईमानदारी और मेहनत से अपना पैसा कमाया है. अगर कोई कह दे कि मैंने कभी नफरत का एक शब्द भी ट्वीट किया हो तो मैं तुरंत सोशल मीडिया छोड़ दूंगा. आज के समय में पूरे देश ने मुझे प्यार दिया है और यह प्यार बना रहेगा. मुझे विश्वास है कि लोग मेरे ट्वीट के पीछे के इरादे को समझने की कोशिश करेंगे.

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