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IISER एग्जाम में छात्रों से पूछा- डार्विन की थ्योरी को नकारने वाले भाजपा मंत्री सत्यपाल सिंह गलत कैसे?

IISER की स्नातक की परीक्षा में एक अनोखा सवाल पूछा गया. छात्रों से पूछा गया कि डार्विन के सिद्धांत की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह द्वारा दी गई दलील में क्या गलत है?

IISER
inkhbar News
  • Last Updated: February 24, 2018 16:43:12 IST

नई दिल्ली.नई दिल्ली. कंपिटीटिव परीक्षाओं में कठिन सवालों से छात्र पहले ही दुखी रहते हैं लेकिन ये मुसीबत और भी बढ़ जाती है जब सवाल सिलेबस के बाहर से दे दिया जाए. ऐसा ही कुछ हुआ जब भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) की एक परीक्षा में छात्रों से पूछा गया कि डार्विन के सिद्धांत की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह द्वारा दी गई दलील में क्या गलत है? एक तरफ जहां परीक्षा में ऐसा सवाल देखकर छात्रों का सिर चकरा गया वहीं संस्थान के डीन संजीव गलांडे ने ऐसा सवाल पूछे जाने को लेकर तर्क दिया कि ऐसा करने के पीछे मकसद ये था छात्रों के तार्किक चिंतन की परख की जानी चाहिए.

गलांडे ने कहा, ‘भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान पेशेवर तरीके से शिक्षण पर जोर देता है और प्रश्नपत्र सारांश आधारित नहीं होते. साथ ही छात्रों से चिंतन करने और तार्किक विश्लेषण करने की उम्मीद की जाती है और परीक्षा में पूछा गया सवाल सीधा था, जिसका उद्देश्य छात्रों के तार्किक चिंतन की परख करना था.’ बता दें कि पूर्व आईपीसी अधिकारी ने कहा था, इंसानों के विकास से जुड़ा डरविन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है.’

बता दें कि सत्यपाल ने कहा था कि डार्विन की थ्योरी वैज्ञानिक तौर पर गलत है. स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है. पूर्वजों समेत किसी ने भी लिखित या कथित तौर पर बंदरों के इंसान बनते हुए देखे जाने की बात नहीं कही है.

गौरतलब है कि बीते 22 फरवरी को आईआईएसईआर के स्नातक के छात्रों से उनकी परीक्षा में सवाल पूछा गया था कि , ‘हाल में भारत के मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री ने दावा किया कि डारविन का जैवविकासवाद का सिद्धांत गलत है, क्योंकि हमारे पूर्वजों सहित किसी ने भी लिखित या मौखिक रूप से यह नहीं कहा है कि उन्होंने लंगूर को इंसान में बदलते देखा. इस दलील में क्या गलत है?’ छात्रों को उनसे ये सवाल पूछे जाने का कारण समझ नहीं आया.

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