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अब सुपर पावर अमेरिका के सामने नहीं झुकेगा भारत, पीएम मोदी के सामने इस चीज के लिए गिड़गिड़ाता रहा ट्रंप…लेकिन नहीं बनी बात

India-US Trade Deal : बीते दिनों अमेरिका में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद अब खबर आ रही है कि भारत के साथ अमेरिका की संभावित ट्रेड डील अधर में लटक सकती है। मुनीर से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा था कि […]

India-US Trade Deal
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  • Last Updated: June 23, 2025 11:01:52 IST

India-US Trade Deal : बीते दिनों अमेरिका में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद अब खबर आ रही है कि भारत के साथ अमेरिका की संभावित ट्रेड डील अधर में लटक सकती है। मुनीर से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा था कि वो जल्द ही भारत और पाकिस्तान से साथ ट्रेड डील करने वाले हैं। लेकिन अब इसको लेकर कुछ और ही खबर सामने आ रही है।

रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका भारत से मक्का और सोयाबीन जैसे अपने कृषि उत्पादों पर कम टैरिफ की मांग कर रहा है, साथ ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) खाद्य पदार्थों के आयात की अनुमति भी मांग रहा है। भारत ने इन मांगों का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि इससे देश के लाखों किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

भारत की 140 करोड़ उपभोक्ताओं को प्राथमिकता

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार का रुख साफ है। वह 140 करोड़ उपभोक्ताओं और लाखों किसानों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता दे रही है। अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 10 फीसदी बेस टैरिफ सभी देशों पर लागू होगा। भारत को यह पर्याप्त नहीं लगता।

भारत ने शुरुआत में टेक्सटाइल, लेदर, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और ऑटो पार्ट्स जैसे सेक्टर में जीरो टैरिफ की उम्मीद की थी, लेकिन अमेरिकी प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि ट्रंप प्रशासन तुरंत जीरो टैरिफ की पेशकश नहीं कर सकता। इसके अलावा भारत ने भविष्य में टैरिफ कार्रवाई से छूट की मांग की है, ताकि समझौते के बाद भी उसकी स्थिति सुरक्षित रहे।

भारतीय किसानों को होगा नुकसान

अमेरिका के लिए कृषि उत्पादों को शामिल किए बिना कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं है। लेकिन भारत के लिए यह मुद्दा संवेदनशील है। भारतीय किसान पहले से ही कम पैदावार और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। जीएम फसलों के आयात से न केवल स्थानीय किसानों को नुकसान होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर भी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जीएम उत्पादों की अनियंत्रित आपूर्ति जैव विविधता को खतरे में डाल सकती है और जीएम खाद्य पदार्थों को स्वीकार न करने वाले देशों से निर्यात प्रतिबंध लगा सकती है।

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