Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले जिसमें 26 लोगों की जान गई. जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी राज्यों को 7 मई 2025 को देशव्यापी मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है. यह मॉक ड्रिल युद्ध या आपात स्थिति जैसे हवाई हमले या बमबारी में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है. ऐसी मॉक ड्रिल आखिरी बार 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आयोजित की गई थी. जब देश ने व्यापक स्तर पर नागरिक सुरक्षा अभ्यास किए थे.

इसके साथ ही पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र फिरोजपुर छावनी में रविवार-सोमवार (4-5 मई 2025) की रात एक ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई. इस दौरान रात 9:00 बजे से 9:30 बजे तक गांवों और मोहल्लों में बिजली बंद रही और 30 मिनट तक हूटर बजाए गए. यह अभ्यास युद्ध की स्थिति में दुश्मन के लिए निशाना साधना मुश्किल करने और नागरिकों को अंधेरे में सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग देने के लिए किया गया.

मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज का उद्देश्य

मॉक ड्रिल-
मॉक ड्रिल एक सिमुलेटेड अभ्यास है जिसमें यह परखा जाता है कि आपात स्थिति (जैसे हवाई हमला, बमबारी, या परमाणु खतरा) में नागरिक और प्रशासन कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे सकते हैं.

इसमें नागरिकों विशेष रूप से छात्रों को हमले की स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर जाने सायरन सुनकर तुरंत कवर लेने और आपातकालीन प्रोटोकॉल का पालन करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. एयर रेड सायरन की टेस्टिंग और ऑपरेशनल तैयारियों का भी हिस्सा होगा ताकि लोग खतरे के संकेत को समझ सकें.

ब्लैकआउट एक्सरसाइज-

ब्लैकआउट का मतलब एक निर्धारित समय के लिए पूरे क्षेत्र की बिजली और गैर-जरूरी रोशनी बंद करना है. इसका मकसद युद्ध के दौरान दुश्मन के विमानों या मिसाइलों के लिए निशाना साधना मुश्किल करना है. फिरोजपुर में हुए ब्लैकआउट अभ्यास में स्थानीय प्रशासन ने पहले ही लोगों से घरों में रहने और बाहर न निकलने की अपील की थी ताकि अभ्यास सुचारू रूप से हो सके.

पंजाब के फिरोजपुर में ब्लैकआउट प्रैक्टिस

पंजाब का फिरोजपुर जो भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब है रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है. रविवार-सोमवार की रात यहां ब्लैकआउट प्रैक्टिस के तहत रात 9:00 से 9:30 बजे तक बिजली बंद रखी गई.

लगातार 30 मिनट तक हूटर बजाए गए जो युद्ध की स्थिति में हवाई हमले की चेतावनी का संकेत देते हैं. प्रशासन ने लोगों को घरों में रहने की सलाह दी थी और इस अभ्यास को सफलतापूर्वक पूरा किया गया. यह प्रैक्टिस संकेत देती है कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में युद्ध की संभावना को लेकर विशेष रूप से सतर्क है. खासकर तब जब नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी सेना की ओर से लगातार गोलीबारी और उकसावे की कार्रवाइयां हो रही हैं.

1971 में मॉक ड्रिल का इतिहास

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत ने व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट अभ्यास आयोजित किए थे. उस समय युद्ध शुरू होने से पहले और उसके दौरान खासकर दिल्ली, कोलकाता, और सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्लैकआउट लागू किए गए थे. 3 दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तान ने हवाई हमले शुरू किए तो दिल्ली में रात 11 बजे ब्लैकआउट लागू किया गया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात बैठक बुलाई थी.

इन अभ्यासों का मकसद नागरिकों को हवाई हमलों से बचाने और दुश्मन के लिए रणनीतिक ठिकानों को लक्षित करना मुश्किल करना था. ऑपरेशन ट्राइडेंट के दौरान भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया. जिसके बाद पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ. इस दौरान ब्लैकआउट ने भारत के रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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