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ISKCON ने पहले चिन्मय कृष्ण दास से किया किनारा, अब बोला सनातन धर्म पर वार बर्दाश्त नहीं

हिंदू समुदाय की एकता और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अपने प्रयासों के कारण इस्कॉन कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन इस्कॉन की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

Chinmay Das
inkhbar News
  • Last Updated: November 29, 2024 16:50:56 IST

नई दिल्ली: देशद्रोह के आरोप में संत चिन्मय दास की गिरफ़्तारी से भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कार्रवाई की आलोचना की और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया. बांग्लादेश सरकार के इस कदम के बाद अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.

जानकारी के मुताबिक, इस्कॉन बांग्लादेश ने पहले संत चिन्मय दास से दूरी बना ली थी. उन्हें संगठन का आधिकारिक सदस्य मानने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में इस्कॉन ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह चिन्मय दास के साथ खड़े है. इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन का उल्लंघन करने के कारण उन्हें उनके पदों से हटा दिया गया, लेकिन संगठन उनके शांतिपूर्ण आह्वान का समर्थन करने से कभी पीछे नहीं हटेगा.

इस्कॉन की छवि धूमिल

चारु चंद्र दास ने यह भी कहा कि हिंदू समुदाय की एकता और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अपने प्रयासों के कारण इस्कॉन कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन इस्कॉन की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने ढाका उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया, जिसमें इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था.

अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन की अपील

इस घटना ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के समर्थन की मांग को बढ़ा दिया है.इस्कॉन ने बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के खिलाफ अत्याचार और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए वैश्विक समुदाय से सहयोग की अपील की है. संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह शांतिपूर्ण संघर्ष और धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में खड़ा रहेगा.

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