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Kangana Prasoon Madhur Vivek Agnihotri Letter To PM Modi on Selective Outrage: असहनशीलता गैंग को कंगना रनौत, प्रसून जोशी, मधुर भंडारकर, सोनल मानसिंह समेत 61 लोगों का करारा जवाब, पीएम को लेटर लिखा, बोले- कुछ ही घटनाओं पर गुस्सा क्यों

Kangana Prasoon Madhur Vivek Agnihotri Letter To PM Modi on Selective Outrage: अभिनेता कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, शास्त्रीय नृत्यांगना और सांसद सोनल मानसिंह, इंस्ट्रूमेंटलिस्ट पंडित विश्व मोहन भट्ट, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री सहित 61 हस्तियों ने चयनात्मक आक्रोश (Selective Outrage) और झूठे कहानियों (false Narratives) के खिलाफ एक खुला पत्र लिखा है. ये पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखा गया है. इसमें जय श्री राम के नारे लगाने पर लोगों को गिरफ्तार करने के मामले को भी उठाया गया है.

Kangana Prasoon Madhur Vivek Agnihotri Letter To PM Modi on Selective Outrage
inkhbar News
  • Last Updated: July 26, 2019 10:59:23 IST

नई दिल्ली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिनेत्री कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, शास्त्रीय नृत्यांगना और सांसद सोनल मानसिंह, वाद्य यंत्र पंडित विश्वमोहन भट्ट, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री सहित 61 हस्तियों ने चयनात्मक आक्रोश (Selective Outrage) और झूठे कहानियों (false Narratives) के खिलाफ एक खुला पत्र लिखा है. ये पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया है. इस पत्र में जय श्री राम के नारे लगाने वालों को जेल भेजने जैसे संवेदनशील मुद्दे को भी उठाया गया है.

कहा जा रहा है कि ये पत्र अभी कुछ दिनों पहले फिल्मी जगत की हस्तियों द्वारा पर लिखे गए पत्र के जवाब में है. दरअसल गैंग्स ऑफ वासेपुर के निदेशक अनुराग कश्यप, मांझी द माउंटेन मैन और रंगरसिया जैसी फिल्मों के निदेशक केतन मेहता के अलावा गुरु और रावण जैसी फिल्मों के निदेशक मणिरत्नम समेत बॉलीवुड, थिएटर और पेंटर के अलावा इतिहासकारों को मिलाकर कुल 49 सिलेब्रिटियों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा गया थी कि बीजेपी के कार्यकाल में असहिष्णुता बढ़ रही है. 23 जुलाई 2019 को लिखे गए इस लेटर में लिखा थी कि वो देश में इन दिनों बढ़ रही हिंसा की खबरों से चिंतित हैं. चिट्ठी में आगे कहा गया थी कि मुसलमानों की भीड़ के द्वारा हत्या और दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ हो रही मारपीट को तुरंत रोका जाना चाहिए.

61 लोगों द्वारा लिखे गए इस पत्र में पूछा गया है कि जब आदिवासी और हाशिए पर माओवादियों द्वारा निशाना बनाया जाता है तो हस्तियां चुप क्यों रहती हैं. इसमें कहा गया है कि इन तथाकथित विवेक रखने वाले लोगों ने जब आदिवासी और अन्य हाशिए के समुदाय नक्सली आतंक से प्रभावित थे तब क्यों चुप्पी साधी. जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को जलाने का आह्वान किया था और जब देश के अग्रणी परिसरों में राष्ट्र को खंडित करने का आह्वान किया गया था तब ये चुप क्यों थे. पत्र में आगे कहा गया है कि पूर्वोक्त पत्र के कुछ हस्ताक्षर अतीत में विद्रोही और आतंकवादी समूहों के मुखपत्र के रूप में काम करते थे. पत्र में कई घटनाओं का उल्लेख किया गया है, कहा गया कि लोकतंत्र के स्वयंभू अभिभावक अधिकारों के अपमानजनक दुरुपयोग के बावजूद चुप रहे, जिसमें हिंदू मंदिरों में तोड़-फोड़ करना, दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों को मारना आदि शामिल हैं. इस पत्र ने प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे को बुलंद किया और विश्वास व्यक्त किया कि भारत उन लोगों के बावजूद आगे बढ़ना जारी रखेगा जो घेराबंदी और पीड़ित की झूठी भावना के माध्यम से राजनीति और समाज को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं.

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