Self Declaration Certificate For Ads: स्वतंत्र राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने शुक्रवार, 28 जून को सदन में विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र की अनिवार्यता पर चिंता व्यक्त की। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है। जिसके मुताबिक विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को प्रिंट प्रकाशन, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कोई भी विज्ञापन जारी करने से पहले मंत्रालय के पोर्टल और पीसीआई पोर्टल पर स्व-घोषणा प्रमाणपत्र (एसडीसी) अपलोड करना जरूरी है।
सदन में उठाया मुद्दा
राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने शुक्रवार को यह मुद्दा उठाया। उन्होंने परिचालन चुनौतियों, अस्पष्टता और संभावित कानूनी चुनौतियों का हवाला देते हुए सरकार से विज्ञापनों के लिए अनिवार्य स्व-घोषणा प्रमाण पत्र के कार्यान्वयन में देरी करने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे छोटे मीडिया घरानों द्वारा प्रकाशित गैर-दावा विज्ञापनों के संबंध में महत्वपूर्ण अस्पष्टता बनी हुई है। इन विज्ञापनदाताओं को प्रक्रिया की तकनीकी प्रकृति और सीमित संसाधन के कारण अनुपालन करने में कठिनाई हो सकती है।
कार्तिकेय शर्मा ने दिया ये सुझाव
उन्होंने आगे कहा कि मीडिया घरानों को स्व-घोषणा प्रमाणपत्र तैयार करने, पोर्टल पर पंजीकरण करने और तकनीकी समस्याओं के निवारण में महत्वपूर्ण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की चुनौतियां विज्ञापनदाताओं को प्रिंट मीडिया का उपयोग करने से रोक सकती हैं। इससे राजस्व प्रभावित होगा। सांसद शर्मा ने सुझाव देते हुए कहा कि प्रारंभिक कार्यान्वयन चिकित्सा विज्ञापनों तक सीमित होना चाहिए। साथ ही हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श आयोजित किया जाना चाहिए।
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