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Kedarnath Cloud Burst: 17 की मौत, SDRF-NDRF का बचाव अभियान जारी

केदारनाथ धाम में हाल ही में आई आपदा ने भयानक रूप ले लिया है। 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 17 लोगों की मौत हो चुकी है,

Kedarnath Cloud Burst 17 killed SDRF NDRF rescue operation
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  • Last Updated: August 3, 2024 23:11:58 IST

Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम में हाल ही में आई आपदा ने भयानक रूप ले लिया है। 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं और कुछ अभी भी लापता हैं। इस आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।

रेस्क्यू अभियान की तेज़ी

केदारनाथ मार्ग में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए व्यापक रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। 3 अगस्त 2024 तक कुल 9099 यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। फिलहाल, करीब 1000 यात्रियों को बचाने के लिए प्रयास जारी हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें दिन-रात काम कर रही हैं, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

विमान और हेलीकॉप्टर की सहायता

रेस्क्यू अभियान को तेजी देने के लिए वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने 5 और हेलीकॉप्टर रेस्क्यू के लिए उपलब्ध कराए हैं। इस प्रकार, हवाई सहायता के माध्यम से फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकालने की कोशिश की जा रही है।

अब तक की मौत और घायल

आपदा के परिणामस्वरूप 31 जुलाई को 15 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, 1 अगस्त को देहरादून के सहस्रधारा में स्नान करते समय पैर फिसलने से 2 और लोगों की मौत हो गई। विभिन्न हादसों में 10 लोग घायल हुए हैं, और 1 व्यक्ति लापता है।

मददगार टीमों की तैनाती

राहत और बचाव कार्यों में कुल 882 जवान और कर्मचारी शामिल हैं। इनमें एनडीआरएफ के 83 जवान, एसडीआरएफ और डीडीआरएफ के 168 जवान, पुलिस विभाग के 126 कर्मी, और अग्निशामक विभाग के 35 कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग के 32 कर्मचारी और विभिन्न अन्य विभागों के कर्मी भी राहत कार्यों में जुटे हैं।

यात्रियों की सुरक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फंसे हुए यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। जिला प्रशासन ने उनके रहने और भोजन की पूरी व्यवस्था की है, ताकि उनकी आवश्यकताएं पूरी हो सकें। इस कठिन समय में, सरकार और राहत टीमों की कोशिश है कि जल्द से जल्द सभी फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सके और आपदा के प्रभाव को कम किया जा सके।

 

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