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जानिए सहारनपुर में कैसे भड़की हिंसा, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शुक्रवार की नमाज के बाद हुई हिंसा के पीछे कुछ बाहरी लोग हो सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शुक्रवार को जामा मस्जिद के बाहर कुछ ऐसे लोग दिखे, जो यहां पहले कभी नहीं देखे गए। ये लोग काले रंग का कुर्ता-पायजामा और नीली टोपी पहने हुए […]

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  • Last Updated: June 11, 2022 11:21:08 IST

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शुक्रवार की नमाज के बाद हुई हिंसा के पीछे कुछ बाहरी लोग हो सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शुक्रवार को जामा मस्जिद के बाहर कुछ ऐसे लोग दिखे, जो यहां पहले कभी नहीं देखे गए। ये लोग काले रंग का कुर्ता-पायजामा और नीली टोपी पहने हुए थे। ये लोग कोल्ड ड्रिंक में मिला कर शराब पी रहे थे और भीड़ के मस्जिद से बाहर निकलते ही भड़काऊ नारे लगाने लगे। इसके बाद ही हिंसा भड़क उठी।

स्थानीय लोगों ने हिंसा की आशंका जताई

एक दुकानदार ने बताया कि गुरुवार को ही हमें पता चला था कि मुस्लिम समुदाय की तरफ से कोई बड़ी प्लानिंग चल रही है। जिसकी पटकथा हलवाई जान, नक्सा बाजार, लोहिनी सराय, कटपीस वाली गली में लिखी जा रही थी।

शुक्रवार को जुम्मे की नमाज से पहले काले कपड़े और नीली टोपी पहने करीब 50 युवक चौक फाउंटेन पहुंचे। यहां इन लोगों ने कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पी। जैसे ही नमाजी मस्जिद से बाहर निकले। ये युवक नारा-ए-तकबीर, अल्लाह हू अकबर जैसे नारे लगाने लगे। इसके बाद अन्य युवक भी इसमें शामिल हो गए और देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या हजारों में पहुंच गई।

रेहड़ी वाले नमाज पढ़ने क्यों नहीं गए

चश्मदीदों के मुताबिक, जामा मस्जिद के सामने फल और सब्जी बेचने वाले नमाज से कुछ देर पहले ही मस्जिद से निकले थे। गुरुवार से आपस में फुसफुसाहट चल रही थी। कुछ बड़ा होने की उम्मीद थी। लोगों का कहना है कि मस्जिद के सामने सब्जी बेचने वाले कई दुकानदारों में से कुछ ने रेहड़ी नहीं लगाई।

वहीं, जिन लोगों ने अपनी रेहड़ी लगाई, उन्होंने भी शुक्रवार को सब्जी नहीं खरीदी थी। गुरुवार को लाई गई सब्जियां ही शुक्रवार को बिक रही थीं। लोगों का कहना है कि इनमें से कुछ लोग नमाज पढ़ने भी नहीं जाते थे, जबकि हर शुक्रवार को सभी नमाज पढ़ने जाते थे।

शुक्रवार की नमाज में पहले से ज्यादा भीड़

सहारनपुर की जामा मस्जिद में शुक्रवार दोपहर 12 बजे से भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। प्रदर्शन की जानकारी पुलिस को मिली तो पुलिस बल तैनात कर दिया गया। मस्जिद के अंदर लोग नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की बात कर रहे थे। नमाज खत्म होते ही प्रदर्शन शुरू हो गया। नुपुर शर्मा मुर्दाबाद, नूपुर को जेल भेजों जैसे नारे लगे। पुलिस ने समझाना शुरू किया, लेकिन बात नहीं बनी।

हंगामे की सूचना पर हिंदू संगठन भी बाजारों में आ गए

करीब पौने तीन बजे हिंदू संगठन के लोग भी बाजारों में उतर आए थे। हिंदू युवा वाहिनी, भैरव करणी सेना और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के अलावा भाजपा के पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा, नगर अध्यक्ष राकेश जैन समेत सैकड़ों कार्यकर्ता भी पहुंचे थे, लेकिन सिटी एसपी राजेश कुमार ने समझाया और सभी को अलग किया।

काले कपड़े व नीली टोपी वालों की होगी पहचान : एसएसपी

सहारनपुर के एसएसपी आकाश तोमर का कहना है कि काले कपड़े और नीली टोपी के मामले में जांच की जा रही है। ये युवक कहां से आए थे और इनकी मंशा क्या थी, इसकी भी जांच की जा रही है।

48 आरोपी गिरफ्तार, हथियार भी मिले

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बदमाश पूरी तैयारी के साथ जामा मस्जिद पहुंचे थे। नमाज खत्म होने के बाद उन्होंने सड़कों पर हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस ने पहले तो उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब वे शांत नहीं हुए तो बल प्रयोग किया गया। पुलिस ने हंगामा करने वाले 48 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से कुछ के पास से चाकू और अन्य हथियार मिले हैं।

वायरल फर्जी मैसेज को सच मान लिया गया

8 जून को जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की तस्वीर वाला एक संदेश इंटरनेट पर वायरल हो गया। संदेश में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद भारत बंद का आह्वान किया गया था। इस संदेश के 24 घंटे बाद मौलाना अरशद मदनी ने इससे इनकार किया। उन्होंने कहा था कि उनका या उनके संगठन का भारत बंद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की।

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