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जानिए पैगंबर मोहम्मद की पत्नी आयशा को जिसकी 9 की उम्र में हुआ था निकाह, कुरान ने दी थी चरित्र की गवाही

नई दिल्ली। इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की तीसरी पत्नी आयशा हजरत का ख़ास महत्व है। आयशा का जन्म 614 ईस्वी में मक्का में हुआ था। उनके जन्म का इस्लाम में खास महत्व हैं। आयशा अबू बक्र की बेटी थीं। आयशा के अंदर कई गुण थे, जिस वजह से मोहम्मद साहब उनके मुरीद हो गए थे। […]

कुरान
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  • Last Updated: September 5, 2024 10:24:20 IST

नई दिल्ली। इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की तीसरी पत्नी आयशा हजरत का ख़ास महत्व है। आयशा का जन्म 614 ईस्वी में मक्का में हुआ था। उनके जन्म का इस्लाम में खास महत्व हैं। आयशा अबू बक्र की बेटी थीं। आयशा के अंदर कई गुण थे, जिस वजह से मोहम्मद साहब उनके मुरीद हो गए थे। आयशा जब 9 साल की उम्र थी जब उनका निकाह पैगंबर से हुआ था। वो पैगंबर की एकमात्र कुंवारी पत्नी मानी जाती हैं। पैगंबर उनसे उम्र में काफी बड़े थे, इस वजह से जब वो महज 18 साल की थी तो पैगंबर का निधन हो जाता है।

कुरान ने दी थी चरित्र की गवाही

कहा जाता है कि एक बार किसी धार्मिक दौरे के दौरान आयशा अपने शौहर पैगंबर मोहम्मद से बिछड़ गईं। तब वो महज तेरह साल की रही होगी। वो रेगिस्तान में भटक रहीं थीं। फिर किसी व्यक्ति ने उन्हें मोहम्मद साहब तक पहुंचाने में मदद की थी। विरोधियों ने आयशा के बारे में उल्टे-सीधे आरोप लगाए। उनके चरित्र पर उंगली उठाया। उन आरोपों पर पवित्र कुरान की गवाही दर्ज की गई। कुरान में उन लोगों के लिए विशेष तौर पर दंड का प्रावधान है जो औरतों की गरिमा पर सवाल खड़े करते हैं।

आदर्श माना जाता है दोनों की प्रेम कहानी

632 में पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु हो जाती है। उस समय आयशा की उम्र महज 18 साल थी। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। आयशा कुरान और इस्लाम की जानकार थीं। मोहम्मद साहब अपने अनुयायियों को आयशा से भी ज्ञान प्राप्त करने की सलाह देते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि मोहम्मद साहब अपनी बेगम आयशा से क़ानूनी सलाह लिया करते थे। दोनों की प्रेम कहानी को आदर्श माना जाता है।

 

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