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जानिए क्यों QUAD देशों का साथ भारत के लिए है जरूरी, ये बड़ा कारण

नई दिल्ली। क्वाड रणनीतिक रूप से चीन की आर्थिक और सैन्य वृद्धि का मुकाबला करता है। इसलिए यह गठबंधन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। जानकारों का मानना ​​है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद है, ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता बढ़ती है तो भारत इस […]

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  • Last Updated: May 23, 2022 13:17:16 IST

नई दिल्ली। क्वाड रणनीतिक रूप से चीन की आर्थिक और सैन्य वृद्धि का मुकाबला करता है। इसलिए यह गठबंधन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। जानकारों का मानना ​​है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद है, ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता बढ़ती है तो भारत इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए दूसरे देशों की मदद ले सकता है।

वहीं क्वाड में अपना कद बढ़ाकर भारत चीन की मनमानी पर अंकुश लगाकर एशिया में भी शक्ति संतुलन स्थापित कर सकता है।

क्वाड से घबराए चीन ने शुरू की भडकाऊ हरकतें

24 मई को होने वाली क्वाड मीटिंग से पहले ही चीन ने भारत से लगती सीमा पर भड़काऊ हरकतें शुरू कर दी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन पूर्वी लद्दाख में स्थित पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बना रहा है। भारत ने चीन के पुल के निर्माण की पुष्टि करते हुए इसकी आलोचना की है। सरकार ने कहा है कि दोनों पुल 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे वाले इलाकों में हैं। भारत का कहना है कि उसने अपने क्षेत्र पर इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है, और न ही उसने चीन के अनुचित दावों या ऐसी किसी भी निर्माण गतिविधियों को स्वीकार किया है।

चीन करता है अवैध फिशिंग

भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध फ़िशिंग की जाती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए क्वाड देशों ने नई रणनीति तैयार की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडो-पैसिफिक में 95% अवैध फिशिंग के लिए चीन जिम्मेदार है। चीन की इन हरकतों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देश परेशान हैं।

क्वाड देश अब इंडो-पैसिफिक में अवैध मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने के लिए सैटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल कर एक ट्रैकिंग सिस्टम बनाएंगे। इस ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए क्वाड के चारों देश अवैध फिशिंग पर नजर रख सकेंगे। दरअसल अवैध मछली पकड़ने से नावों के ट्रांसपोंडर बंद हो जाते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। जहाजों के स्थान का पता लगाने के लिए ट्रांसपोंडर का उपयोग किया जाता है। अब अवैध मछुआरे भले ही अपनी नावों के ट्रांसपोंडर को रोक दें, नई ट्रैकिंग प्रणाली उन्हें ट्रैक करने की अनुमति देगी।

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