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लखीमपुर कांड: घटना के समय गाड़ी में नहीं था ‘आशीष मिश्रा’, SC में वकील की दलील

Lakhimpur Kheri Violence: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि राज्य सरकार को कार में लोगों की लिंचिंग की जांच की स्थिति की रिपोर्ट देनी चाहिए। आशीष मिश्रा की ओर से वकील मुकुल […]

लखीमपुर कांड
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  • Last Updated: December 12, 2022 16:27:11 IST

Lakhimpur Kheri Violence: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि राज्य सरकार को कार में लोगों की लिंचिंग की जांच की स्थिति की रिपोर्ट देनी चाहिए। आशीष मिश्रा की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक साल पहले उन्हें जमानत दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलटते हुए इसे वापस हाईकोर्ट भेज दिया। ये मामला काफी स्पष्ट है लेकिन इसके बावजूद जमानत नहीं मिल रही है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई जनवरी के दूसरे हफ्ते में करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मुख्य न्यायाधीश से जनवरी के दूसरे सप्ताह में इसपर सुनवाई करेगा।

गाड़ी में नहीं था ‘आशीष मिश्रा’,

 

वकील मुकुल रोहतगी ने इस मामले में कहा कि जेल में एक साल हो गया, देखिए एफआईआर। शिकायकर्ता जगजीत ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने सुना है, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। रोहतगी ने कहा कि थार कार से लोगों के कुचले जाने की घटना का जिक्र इस FIR में है. मेरा मुवक्किल उस समय कार में नहीं था। रोहतगी ने कहा कि FIR में उल्लेख है कि एक व्यक्ति मारा गया, जबकि गोली से किसी की मौत नहीं हुई। कार में सवार चालक व एक अन्य की मौके पर ही मार दिया गया था. उस समय मेरा मुवक्किल चार किलोमीटर दूर अखाड़े में था.

 

कार पर फेंके गए थे पत्थर : वकील

रोहतगी ने कहा कि यह पूरी घटना है जहां मेरे मुवक्किल की भूमिका स्पष्ट नहीं है। मेरे लाइसेंसी बन्दूक की जाँच की गई और यह स्पष्ट था कि इसका उपयोग नहीं किया गया था। मुकुल रोहतगी ने इस मामले में कहा कि गाड़ी में सवार लोगों की कहानी यह है कि गाड़ी पर पत्थर फेंके गए, ड्राइवर को खींचकर ही मौके पर ही मार दिया गया. पत्थर फेंकोगे तो कोई तेज रफ्तार से भागने की कोशिश करेगा, वह तेज रफ्तार हादसे की वजह बन गई है। न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना है। कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि पीड़ित के साथ-साथ आरोपी पक्ष के भी अपने अधिकार हैं, उन्हें कैसे संतुलित करेंगे. कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया कि एक आरोपी को आप कितने दिनों तक जेल में रखेंगे.

 

 

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