नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चूका है. राजनीतिक दल विपक्ष को अलग-थलग करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं. बता दें कि सोशल मीडिया लोगों से जुड़ने में अहम भूमिका निभाता दिख रहा है. दरअसल बीजेपी की सोशल मीडिया टीम केजरीवाल बनाम केजरीवाल अभियान चला रही है. इसमें CM अरविंद केजरीवाल के तमाम पुराने वीडियो क्लिप को आम आदमी पार्टी को उखाड़ फेंकने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

सोशल मीडिया एप्प के माध्यम से यूथ तक पहुंच

भ्रष्टाचार का विरोध कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी को इस समय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. इंस्टाग्राम, फेसबुक समेत तमाम सोशल मीडिया एप्लीकेशन से चाहे बड़ी हो या छोटी पब्लिक मीटिंग या पीआर कैंपेन, सिर्फ 30 फीसदी लोगों तक ही पहुंच बनाया जा सकता है. ऐसे में अब पूरा फोकस सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर है. बता दें कि सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से राजनीतिक दलों ने समाज के सभी वर्गों, आयु समूहों और शिक्षित वर्गों को लक्षित किया है.

आपका योगदान नीचे प्रकाशित किया जाएगा. इंस्टाग्राम हाल ही में युवाओं के लिए सबसे बड़ा एप्लिकेशन बन गया है. ये जगह 18 से 35 साल के युवाओं को आकर्षित करती है. उन्हें बैठकों और सार्वजनिक समारोहों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती. इसलिए केवल युवाओं से संबंधित पोस्ट ही पोस्ट की जाएंगी, और इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं को तवज्जो दी जा रही है. मीम्स बनाकर विपक्ष को भी घेरा जा रहा है.

रील्स से अशिक्षित वर्ग वालों तक पकड़

फेसबुक पेज पर रील्स का इस्तेमाल करने का चलन इस समय जोरों पर है. बता दें कि सोशल मीडिया अभियानों के विशेषज्ञों के अनुसार वीडियो आबादी के अशिक्षित वर्ग, विशेषकर खासकर रेहड़ी-पटरी द्वारा सबसे अधिक देखे जाते हैं. उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि प्रत्येक पार्टी किन विचारों का प्रतिनिधित्व करती है, और उनके पास जो भी भूमिकाएं सबसे पहले आती हैं, वो लगातार उसकी समीक्षा करते हैं. इस प्रकार इन मतदाताओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है. हालांकि फेसबुक पर महिलाएं भी काफी सक्रिय हैं. महिलाओं से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

बता दें कि एक्स पर ज्यादातर ज्ञान की बातें, तर्क आधारित वीडियो साझा किए जा रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्लेटफार्म पर प्रबुद्ध वर्ग की भागीदारी सबसे अधिक है. दरअसल पूरी तैयारी के साथ वीडियो के माध्यम से विपक्ष को घेरा जा रहा है, ताकि तार्किक दृष्टि से वो उस मुद्दे को परखकर अपना मन बना सकें कि कौन सी पार्टी, उम्मीदवार उनके लिए बेहतर है. साथ ही दिल्ली देश की राजधानी होने की वजह से इस वर्ग की भी बहुतायत है.

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