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Lunar eclipse: चांद ग्रहण में रखें सूतक काल का ध्यान नहीं तो पड़ सकता है भारी, जाने क्या है समय

नई दिल्ली। इस साल शरद नवरात्रि के पहले साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था और अब विजय दशमीं के बाद साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है.ये आखिरी चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन होगा. य़ानी 28 अक्टूबर 2023 को चंद्रग्रहण लगने वाला है इस साल अक्टूबर के महीने में त्योहारों के साथ […]

Lunar eclipse: चांद ग्रहण में रखें सूतक काल का ध्यान नहीं तो पड़ सकता है भारी, जाने क्या है समय
inkhbar News
  • Last Updated: October 26, 2023 21:00:17 IST

नई दिल्ली। इस साल शरद नवरात्रि के पहले साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था और अब विजय दशमीं के बाद साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है.ये आखिरी चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन होगा. य़ानी 28 अक्टूबर 2023 को चंद्रग्रहण लगने वाला है इस साल अक्टूबर के महीने में त्योहारों के साथ ही ग्रहण का नाजरा बहुत खास है. चंद्रग्रहण भारत में भी देखाई देगा. चंद्रग्रहण के साथ सूतक भी लगने वाला है इस समय लापरवही बरतने से पड़ सकता है इन चीजों पर असर जानें सूतक काल का समय.

सूतक काल का समय

इस साल चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन 28 अक्टूबर को लगने वाला है.शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि चंद्र ग्रहण लगने वाला है. 9 घंटे पहले ही सूतककाल शाम 4 बजकर 5 मिनट में प्रारंभ कर मध्य रात्रि में रात 2 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा.

सूतक में इन चीजों की मनाही

 

सूतककाल के दौरान कोई भी शुभ मगंल कार्य पूजा, खरीदारी नहीं करनी चाहिए. सूतक काल में सूर्य को अर्घ्य देने कि भी मनाही होती है. इस दौरान सोना भी नहीं चाहिए इससे दोष लगता है. पूजा करने की भी होती है मनाही साथ ही भगवान को नही छुना चाहिए. खासकर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में बाहर नहीं निकल ना चाहिए चूंकी ग्रहण के प्रभाव से गर्भ में पल रहे बच्चे के ऊपर प्रभाव पड़ सकता है.

मां लक्ष्मीं का है दिन

शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगने वाला है और इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है मगर सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती. मगर शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है तथा घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसलिए माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सूतक से पहले पूजा करें या फिर ग्रहण खत्म होने के बाद पूजा कर सकते हैं. चंद्र ग्रहण के दौरान आप माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सूतककाल से पहले और ग्रहण खत्म होने के बाद पूजा कर सकते हैं.