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महाराष्ट्र संकट: शिंदे की बगावत के बाद उद्धव को इस्तीफा देने से किसने रोका? क्यों छोड़ना चाहता थे कुर्सी..

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद से उद्धव सरकार पर सियासी संकट गहराया हुआ है। शिंदे की बगावत के बाद से महाविकास अघाड़ी खेमे में हलचल मच गई थी. जिसके बाद से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता इस संकट से निकलने की लगातार कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान […]

महाराष्ट्र संकट:
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  • Last Updated: June 28, 2022 12:26:37 IST

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद से उद्धव सरकार पर सियासी संकट गहराया हुआ है। शिंदे की बगावत के बाद से महाविकास अघाड़ी खेमे में हलचल मच गई थी. जिसके बाद से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता इस संकट से निकलने की लगातार कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान राजनीति चाणक्य माने जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार और अजीत पवार सीएम उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए मातोश्री पहुंचे थे. बता दें कि शिंदे गुट की बागवत के बाद उद्धव ठाकरे सीएम पद से इस्पीफा देना चाहते थे, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया.

जानकारी के मुताबिक शरद पवार और अजीत पवार से मुलाकात से पहले ही सीएम उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा देने का मन बना लिया था. बता दें कि उद्धव ठाकरे नहीं चाहते थे कि पार्टी में बगावत के बाद वो सीएम बने रहें.

उद्धव को इस्तीफा देने से आखिर किसने रोका?

बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना में हुई बगावत के बाद से अंकगणित को समझ गए थे, इसलिए उन्होंने 21 और 22 जून को ही कुर्सी छोड़ने का मन बना लिया था. लेकिन बीजेपी के मुताबिक शरद पवार उन्हें ये समझाने में कामयाब रहे कि वो सीएम पद से इस्तीफा न दें. खबरें है कि इसी बात को पुख्ता करने के लिए शरद पवार और अजीत पवार मतोश्री का चक्कर काट रहे थे. ताकि उद्धव का उन पर भरोसा बना रहे.

क्यों इस्तीफा देना चाहते थे सीएम उद्धव?

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी के नेता अजीत पवार ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि सब उद्धव ठाकरे के साथ में है. हालांकि, उद्धव ठाकरे को बागियों के तेवर का एहसास हो होने लगा था, शायद इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री आवास वर्षा को छोड़ने का निर्णय लिया और मातोश्री में शिफ्ट हो गए थे. बता दें कि अब फ्लोर टेस्ट को लेकर हलचल तेज हो गई है. एकनाथ शिंदे गुट अपनी रणनीति बनाने में जुटा है तो वहीं बीजेपी की सियासी घटनाक्रम पर पैनी नजर है.

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