Caste Census: केंद्र सरकार द्वारा जाति जनगणना को मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। इस लेटर में उन्हें जनगणना के मसले पर तीन सुझाव भी दिए हैं। साथ ही इन सुझावों को लेकर सभी पार्टियों की बैठक की मांग भी की है। आइये जानते हैं लेटर में है क्या?
जातिगत जनगणना पर प्रधानमंत्री @narendramodi जी को मेरा पत्र
पत्र के कुछ अंश साझा कर रहा हूँ, पूरा पत्र संलग्न है —
मैंने 16 अप्रैल 2023 को आपको पत्र लिखकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई… pic.twitter.com/FAeZ0jkAfY
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 6, 2025
1 .जनगणना से सम्बंधित प्रश्नावली का डिजाइन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जाति संबंधी जानकारी केवल गिनती के लिए नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकत्र की जानी चाहिए। हाल ही में संपन्न तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण को इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन और कार्यान्वित किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय को जनगणना में इस्तेमाल किए जानेवाले प्रश्नावली और पूछे जानेवाले प्रश्नों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए। प्रक्रिया के समाप्ति के अंत में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया नहीं जाना चाहिए।
2. सभी राज्यों द्वारा पारित आरक्षण संबंधी अधिनियमों को संविधान की नवीं सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा जाति जनगणना के जो भी नतीजे आएँ, यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाया जाना होगा।
3. संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा यह फैसला 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आया। यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है।