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MBBS in Hindi : MP में पहली बार हिंदी में पढ़ाई जाएगी डॉक्टरी! तीन किताबें तैयार

भोपाल : दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा होने के बाद भी कई ऐसे प्रोफेशन हैं जहां इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का विशेष स्थान है. अब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने अनोखी पहल […]

medical will be taught in Hindi for the first time in MP
inkhbar News
  • Last Updated: October 15, 2022 18:51:49 IST

भोपाल : दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा होने के बाद भी कई ऐसे प्रोफेशन हैं जहां इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का विशेष स्थान है. अब हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने अनोखी पहल की है. दरअसल अब मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में करवाई जाएगी.

चार महीनों में पूरा हुआ अनुवाद

इस बात का श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है. बता दें, सीएम शिवराज काफी लंबे समय से हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. जहां अब भारत में भी यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिजस्तान और फिलीपींस जैसे देशों की तरह अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई करवाई जाएगी. रात-दिन काम कर 97 डॉक्टरों की टीम ने चार महीनों के अंदर मेडिकल की तीन किताबों का हिंदी में अनुवाद कर दिया है. इस रविवार इन किताबों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लॉन्च करेंगे. ये लॉन्चिंग 16 अक्टूबर को लाल परेड ग्राउंड में की जाएगी.

प्रोजेक्ट का नाम ‘मंदार’

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि मप्र के मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हिन्दी के जानकारों ने MBBS फर्स्ट ईयर की किताबों का हिंदी अनुवाद कर दिया है. इस प्रोजेक्ट को मंदार का नाम दिया गया है. इसके पीछे का कारण ये विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकला था उसी प्रकार अंग्रेजी किताबों का हिंदी अनुवाद किया जाएगा.

चार महीने में पूरा हुआ टास्क

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग आगे बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस काम को चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपा. 97 डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाकर इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. जिसमें तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी बराबर ध्यान रखा गया है. इन किताबों का इस प्रकार हिंदी अनुवाद हुआ जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना आसान हो.

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