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Mizoram New CM Lalduhoma: कौन हैं लालदुहोमा, जो मिजोरम के सीएम बनने जा रहे हैं?

आईजोल: मिजोरम में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। यहां सत्तासीन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) चुनाव हार गई है। इसकी जगह एक नई पार्टी ने राज्य में बहुमत हासिल की है। यह पार्टी है- जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM), जिसने अपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए 40 सीटों वाले मिजोरम में 27 सीटें जीती […]

Mizoram New CM Lalduhoma: कौन हैं लालदुहोमा, जो मिजोरम के सीएम बनने जा रहे हैं?
inkhbar News
  • Last Updated: December 4, 2023 22:59:55 IST

आईजोल: मिजोरम में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। यहां सत्तासीन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) चुनाव हार गई है। इसकी जगह एक नई पार्टी ने राज्य में बहुमत हासिल की है। यह पार्टी है- जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM), जिसने अपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए 40 सीटों वाले मिजोरम में 27 सीटें जीती हैं। अचंभे की बात तो ये है कि इस पार्टी का गठन महज 4 साल पहले हुआ है। पार्टी की इस बंपर जीत के बाद जेडपीएम के प्रमुख लालदुहोमा (Mizoram New CM Lalduhoma) मुख्यमंत्री बनेंगे।

लालदुहोमा का रोचक राजनीतिक सफर

74 वर्षीय लालदुहोमा (Mizoram New CM Lalduhoma) पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज रह चुके हैं। जेडपीएम के प्रमुख लालदुहोमा मिजोरम के मुख्यमंत्री बनेंगे। उनकी पार्टी मे 27 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर ली है। राजनीति में उनका सफर काफी रोचक रहा है। दरअसल, लालदुहोमा दल-बदल कानून के तहत सदस्यता गंवाने वाले सांसदों में से एक हैं। साल 1998 में वे दलबदल विरोधी कानूनी के तहत अयोग्य घोषित कर दिए गए थे।

साल 1984 में लालदुहोमा मिजोरम से सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज के पद से इस्तीफा देकर पूर्व आईपीएस के तौर पर राजनीति में कदम रखा था। पर साल 1998 में उन्हें दलबदल कानून के तहत अपनी सदस्यता गवांनी पड़ी थी। इसके बाद उन्होंने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी बनाई। यही पार्टी आगे चलकर जोरम पीपुल्स मूवमेंट से जुड़ गई।

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लालदुहोमा का करियर

लालदुहोमा ने मैट्रीकुलेशन तक की पढ़ाई की। इसके बाद वे साल 1972 में मिजोरम के मुख्यमंत्री ऑफिस में प्रिंसिपल अस्सिटेंट बने। इस नौकरी को करते हुए उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से जारी रखा। साल 1977 में फिर लालदुहोमा ने सिविल सेवा की परीक्षा दी और आईपीएस के लिए उनका चयन हो गया। कुछ साल तक उन्होंने आईपीएस के पद पर काम किया। इसके बाद साल 1982 में उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी इंचार्ज की जिम्मेदारी मिली।