Mock Drill: पाकिस्तान के साथ हाल के तनावों और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने का फैसला किया है. 29 मई 2025 को भारत के चार सीमावर्ती राज्यों गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में शाम 4 बजे से एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा. यह अभ्यास सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत हो रहा है जिसका उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों में नागरिकों को प्रशिक्षित करना और रक्षा तंत्र की तैयारियों का आकलन करना है.
मॉक ड्रिल का उद्देश्य
इस मॉक ड्रिल का मुख्य लक्ष्य सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को युद्ध, आतंकी हमले या अन्य आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार करना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार यह ड्रिल 244 जिलों में आयोजित होगी. जिनमें से अधिकांश पाकिस्तान सीमा से सटे हैं. इनमें जम्मू-कश्मीर (1,216 किमी), राजस्थान (1,035 किमी), पंजाब (547 किमी) और गुजरात (512 किमी) के जिले शामिल हैं जो भारत-पाकिस्तान की 3,323 किलोमीटर लंबी रेडक्लिफ रेखा से सटे हैं. ड्रिल में नागरिकों को सुरक्षित निकासी, प्राथमिक चिकित्सा और आपातकालीन प्रतिक्रिया की ट्रेनिंग दी जाएगी. ‘यह मॉक ड्रिल हमारी सिविल डिफेंस की तैयारियों को परखने और नागरिकों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण कदम है.’
ऑपरेशन सिंदूर और मॉक ड्रिल
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. जिसके जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. जिसमें 130-160 आतंकियों की मौत हुई. जवाब में पाकिस्तान ने पुंछ और राजौरी जैसे क्षेत्रों में गोलीबारी की, जिससे 15 भारतीय नागरिक मारे गए. इस तनाव के बाद भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया है. यह 1971 के बाद भारत की सबसे बड़ी सिविल डिफेंस ड्रिल होगी. जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और सतर्कता को बढ़ाने पर केंद्रित है.
मॉक ड्रिल की रूपरेखा
मॉक ड्रिल में सीमा सुरक्षा बल (BSF), स्थानीय पुलिस और सिविल डिफेंस स्वयंसेवक शामिल होंगे. यह अभ्यास रणनीतिक और सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में होगा. जहां दुश्मन के हमले का खतरा सबसे अधिक है. ड्रिल में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल होंगी-
आपातकालीन निकासी: नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया.
चिकित्सा सहायता: प्राथमिक उपचार और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का प्रशिक्षण.
सुरक्षा जागरूकता: सीमा पर संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और रिपोर्टिंग.
संचार तंत्र: आपात स्थिति में सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय.
जम्मू-कश्मीर के सियालकोट और नियंत्रण रेखा (LoC) जैसे क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाएगा. जहां भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास रहा है. ड्रिल में लेजर वॉल और एडवांस टेक्नोलॉजी सिस्टम की मॉनिटरिंग भी शामिल होगी. जो BSF द्वारा संचालित हैं.
नागरिकों से अपील
सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस ड्रिल में बिना घबराहट के भाग लें और सेना व प्रशासन का सहयोग करें. ‘यह अभ्यास हमारी सामूहिक सुरक्षा के लिए है. नागरिकों का सहयोग और जागरूकता इसे सफल बनाएगी.’ सोशल मीडिया पर भी लोगों से सतर्क रहने और ड्रिल में शामिल होने की अपील की जा रही है.