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केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन OPS पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब लागू होगा UPS

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को कैबिनेट ने नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से

Unified Pension Scheme यूनिफाइड पेंशन स्कीम
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  • Last Updated: August 24, 2024 20:19:33 IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने पेंशन स्कीम को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। आज कैबिनेट की बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और न्यू पेंशन स्कीम (NPS) की जगह नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी गई। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी और इससे 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

क्या है UPS 

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना के बारे में बताया कि अगर कोई कर्मचारी 25 साल तक नौकरी करता है तो उसे रिटायरमेंट के समय आखिरी 12 महीनों की औसत सैलरी का कम से कम 50% मिलेगी.  इसके अलावा, यदि किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को मृत्यु के समय मिलने वाले वेतन का 60% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगी।

NPS से UPS में स्विच करने का विकल्प

सरकार ने यह भी घोषणा की है कि सभी एनपीएस धारकों को यूपीएस में स्विच करने का विकल्प मिलेगा। यह विकल्प उन लोगों के लिए भी उपलब्ध होगा जो एनपीएस की शुरुआत से ही इसके तहत सेवानिवृत्त हुए हैं या भविष्य में होंगे। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुराने एनपीएस धारकों को एरियर का भुगतान किया जाएगा, और 2004 से रिटायर हुए कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा।

पेंशन की अन्य सुविधाएं

नई योजना के तहत, 10 साल की सेवा पूरी करने पर कर्मचारियों को 10,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन मिलेगी। यदि सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो उसकी पत्नी को 60% पेंशन मिलेगी। हर छह महीने की सेवा के बदले, कर्मचारियों को मासिक वेतन (वेतन और डीए) का दसवां हिस्सा रिटायरमेंट पर मिलेगा।

राज्य सरकारों के लिए सुझाव

सरकार ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें इस स्कीम को अपने राज्यों में लागू कर सकती हैं। कर्मचारियों पर इस स्कीम का कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

कांग्रेस की OPS वादे पर टिप्पणी

सरकार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्होंने ओपीएस का वादा चुनावी घोषणा पत्र में नहीं किया था और पार्टी के नेताओं में इस मुद्दे पर मतभेद था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी राजनीति से ऊपर उठकर महत्वपूर्ण पेंशन सुधार का फैसला लिया है, जो चुनाव से नहीं जुड़ा है.

 

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