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Murshidabad Violence: मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों का हाथ? BSF की खुफिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून 2025 के विरोध में भड़की हिंसा ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है. सीमा सुरक्षा बल (BSF) की एक ताजा खुफिया रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है.

Murshidabad Violence
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  • Last Updated: April 15, 2025 16:59:45 IST

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून 2025 के विरोध में भड़की हिंसा ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है. सीमा सुरक्षा बल (BSF) की एक ताजा खुफिया रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार इस हिंसा के तार बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े हो सकते हैं जो स्लीपर सेल के जरिए मुर्शिदाबाद में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. इस खुलासे ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है.

BSF की रिपोर्ट

बीएसएफ की इंटेलिजेंस विंग ने अपनी जांच में पाया कि बांग्लादेश के दो कुख्यात कट्टरपंथी संगठन, जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी), मुर्शिदाबाद में अशांति फैलाने में शामिल हो सकते हैं. ये संगठन कथित तौर पर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों को भड़काने के लिए स्थानीय स्लीपर सेल का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘ये संगठन सीमा पार से अशांति को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं जिसके लिए उन्होंने पहले से ही योजना बनाई थी.’ इस खुलासे के बाद सुरक्षा बलों की सतर्कता और बढ़ गई है.

जेएमबी पर भारत में प्रतिबंध

जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) को भारत ने पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित किया हुआ है. बांग्लादेश में भी इस संगठन पर पहले प्रतिबंध था लेकिन मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद इस बैन को हटा लिया गया. इतना ही नहीं बांग्लादेश की विभिन्न जेलों में बंद जेएमबी के कई नेताओं को भी रिहा कर दिया गया है. बीएसएफ की रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि इन रिहाइयों के बाद संगठन ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं जिसका असर सीमावर्ती इलाकों में देखा जा रहा है.

मुर्शिदाबाद में हिंसा

मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन चल रहे थे. 14 अप्रैल को एक रैली के दौरान स्थिति तब बिगड़ गई. जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई. पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा. इस हिंसा में कई लोग घायल हुए और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा. स्थिति को काबू में करने के लिए बीएसएफ की कई कंपनियों को मुर्शिदाबाद और आसपास के अशांत इलाकों में तैनात किया गया है. एक बीएसएफ अधिकारी ने कहा ‘हमारी प्राथमिकता सामान्य स्थिति बहाल करना और किसी भी बाहरी तत्व को अशांति फैलाने से रोकना है.’

पश्चिम बंगाल पुलिस और बीएसएफ ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है. अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और छापेमारी जारी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय भी इस मामले पर नजर रखे हुए है. खुफिया एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या यह हिंसा सुनियोजित थी और इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. स्थानीय प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं ताकि अफवाहें और भड़काऊ सामग्री को रोका जा सके.

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