वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद की हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है लेकिन इस दौरान युसुफ पठान कहीं दिखाई नहीं दिये. वह आखिरी बार रमजान के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र में दिखाई दिये थे. इसको लेकर उनकी अपनी ही पार्टी में रार मच गई है. आखिरी बार उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर 11 अप्रैल को एक पोस्ट साझा की थी. इसमें वे चाय की चुस्की लेते दिखाई दिए. उन्होंने लिखा था कि आरामदायक दोपहर, अच्छी चाय और शांत वातावरण. बस पल का आनंद ले रहा हूं.
हिंसा भी उसी दिन शुरू हुई थी. इसके बाद वह नहीं दिखे. इस पोस्ट को लेकर भी आलोचना हुई थी कि जनप्रतिनिधि को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि जिस जिले की एक लोकसभा क्षेत्र से वह सांसद है वहां पर क्या हो रहा है. मुर्शिदाबाद जिले में तीन लोकसभा क्षेत्र है जंगीपुर, मुर्शिदाबाद और बहरामपुर. इन तीनों क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व तृणमूल कांग्रेस के सांसद खलीलुर रहमान, अबू ताहिर खान और यूसुफ पठान करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 11 अप्रैल को भड़की हिंसा ने जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र के सुती, समसेरगंज और धुलियान इलाकों को बुरी तरह से अपने चपेटे में लिया.
बेशक युसुफ पठान के निर्वाचन क्षेत्र में कोई हिंसा नहीं हुई है, लेकिन यह इलाका हिंसा वाले क्षेत्रों से सटा हुआ है. अब जबकि हिंसा की आग धीरे धीरे शांत हो रही है, इस पर चर्चा होने लगी है कि टीएमसी के किस जनप्रतिनिधि ने इस दौरान क्या भूमिका निभाई. टीएमसी प्रमुख और सीएम ममता बनर्जी ने जनप्रतिनिधियों से क्षेत्र में जाकर लोगों को शांत करने की अपील की थी. युसुफ पठान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को हराकर सांसद बने थे, अधीर रंजन सक्रिय राजनेताओं में गिने जाते हैं और टीेएमसी व ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाते हैं. पठान की अनुपस्थिति न केवल विपक्ष को खटक रही है बल्कि टीएमसी नेता भी उनसे नाराज दिख रहे है.
मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यूसुफ पठान की गैर मौजूदगी गलत संदेश दे गई. यूसुफ पठान बाहरी व्यक्ति हैं और राजनीति में नये हैं. उन्होंने दूर रहना चुना, लेकिन इससे लोगों में गलत संदेश गया. हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता सब परेशान होकर लोगों से संपर्क कर रहे थे. समसेरगंज में एक शांति बैठक बुलाई गई. मैं वहां 100 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचा. खलीलुर रहमान के साथ तृणमूल के कई विधायक भी वहां मौजूद थे. पर वहां युसूफ पठान नहीं थे. कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा क्षेत्र नहीं है और यह मेरे लोग नहीं हैं इसलिए मैं नहीं जाऊंगा.
टीएमसी के दूसरे नेता और भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर ने भी पठान पर ऐसे समय में लोगों के साथ मौजूद नहीं होने पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा, वह गुजरात के रहने वाले एक मशहूर क्रिकेटर हैं. उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी जैसे नेता को लोकसभा चुनाव में हराया था. यह सज्जन पहले क्रिकेट खेले और अब मतदाताओं की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं. कबीर ने यहां तक कहा कि अगर पठान की जनभागीदारी नहीं बढ़ी, तो वह पार्टी नेतृत्व से संपर्क करेंगे ताकि उन्हें अगली बार टिकट न मिले.
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