नई दिल्ली: Nationwide Strike Of Doctors: पश्चिम बंगाल में एक 85 साल के बुजुर्ग को दिल का दौरा पड़ता है. घरवाले अस्पताल लाते हैं. डॉक्टर पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें बचा लिया जाए लेकिन वो उन्हें बचा नहीं पाते. डॉक्टर को भगवान का दर्जा जरूर दिया जाता है क्योंकि वो मरीज की जान बचाने के लिए मौत से जंग लड़ते हैं, लेकिन वो भगवान नहीं होते. इतनी सी बात एक परिवार को समझ में नहीं आई और वो हथियारबंद गुड़ों को लेकर अस्पताल पहुंच गए और डॉक्टरों को जमकर पीटा. इस दौरान पुलिस पर आरोप है कि वो मूकदर्शक बन डॉक्टरों की पिटाई का तमाशा देखती रही क्योंकि वो सब एक खास वर्ग से आते थे जिसे कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरपरस्ती मिली हुई है.
आक्रोशित डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे. सीएम ममता बनर्जी आईं और उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि ‘जो डॉक्टर चार घंटों के अंदर काम शुरू नहीं करेंगे उन्हें हॉस्टल छोड़कर जाना होगा. सरकार उनका कोई साथ नहीं देगी. जो डॉक्टर हड़ताल पर गए हैं मैं उनकी निंदा करती हूं. पुलिस लाइन ऑफ ड्यूटी पर शहीद होते हैं तो क्या सारी पुलिस हड़ताल पर चली जाती है?’
कोई भी समझदार शख्स मामले को शांत करने की कोशिश करता लेकिन ममता बनर्जी ने ये बयान देकर डॉक्टरों का गुस्सा और बढ़ा दिया. बड़ा सवाल ये है कि क्या वोट बैंक को बचाने के लिए हमारे नेता इस हद तक नीचता पर उतर आए हैं कि डॉक्टरों से मारपीट करने वाले गुंडों की सरपरस्ती करने को आतुर है? काम करने की जगह पर असुरक्षा का माहौल होगा तो कौन काम करना चाहेगा? ऐसे देश में जहां डॉक्टरों की पहली ही बहुत कमी है वहां पिछले तीन दिनों में 1500 से ज्यादा डॉक्टर रिजाइन कर चुके हैं. कौन सा डॉक्टर ऐसे माहौल में ईलाज करना चाहेगा जहां उसे हर पल ये लगे कि अगर मरीज को कुछ हुआ तो उसके घरवाले उसे जान से मार देंगे? कौन सा परिवार अपने बच्चों को इस माहौल में डॉक्टर बनने की सलाह देगा? इसे भी छोड़िए, कौन सा डॉक्टर ऐसे माहौल में भारत में रहना पसंद करेगा?