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Nirav Modi Extradition: भगोड़ा नीरव मोदी अब आएगा भारत… ED ने खोले ये गजब के राज!

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से जुड़े 6498.20 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को यूके हाईकोर्ट ने एक बार फिर जमानत देने से इनकार कर दिया है. यह फैसला भारत सरकार और जांच एजेंसियों के लिए बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है. जिसने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है.

NIRAV MODI
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  • Last Updated: May 16, 2025 22:02:25 IST

Nirav Modi Extradition: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से जुड़े 6498.20 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को यूके हाईकोर्ट ने एक बार फिर जमानत देने से इनकार कर दिया है. यह फैसला भारत सरकार और जांच एजेंसियों के लिए बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है. जिसने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है.

यूके हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

15 मई 2025 को हुई सुनवाई में नीरव मोदी की चौथी जमानत याचिका खारिज कर दी गई. उन्होंने 21 मार्च को स्वास्थ्य कारणों और समयबद्ध न्यायिक प्रक्रिया में चूक का हवाला देते हुए यह याचिका दाखिल की थी. हालांकि भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसका कड़ा विरोध किया. ईडी ने कोर्ट को बताया नीरव मोदी ने शेल कंपनियों के जरिए विदेशों में मनी लॉन्ड्रिंग की. जिसमें यूके और अन्य देशों में संपत्तियों की खरीद-फरोख्त शामिल है.

ईडी और सीबीआई की सख्त कार्रवाई

ईडी ने बताया कि 14 फरवरी 2018 को दर्ज FIR के आधार पर PMLA के तहत केस दर्ज किया गया था. इसके तहत नीरव मोदी और उनके 35 सहयोगियों/कंपनियों के खिलाफ अभियोजन शिकायतें दाखिल की गई हैं. नीरव को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के बाद 692.90 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं. ईडी ने आगे खुलासा किया 2626.62 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क किया गया है. जिनमें से 1052.42 करोड़ रुपये की संपत्ति पीड़ित बैंकों को वापस की जा चुकी है.

प्रत्यर्पण प्रक्रिया अंतिम चरण में

लंदन में चल रही प्रत्यर्पण प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है. यूके की निचली अदालतों में नीरव की तीन जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं. इस बार उन्होंने 7 मई 2024 के डिस्ट्रिक्ट जज जानी के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा. यह लगातार जमानत याचिकाओं का खारिज होना दर्शाता है कि अदालतें भारत सरकार के सबूतों और दलीलों को मजबूत मान रही हैं.

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