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Nirbhaya Rape Accused Submits Review Petition: निर्भया रेप और हत्या के गुनाहगार अक्षय ठाकुर ने फांसी के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में दिए अजीब तर्क- प्रदूषण से लेकर वेद का जिक्र

Nirbhaya Rape Accused Submits Review Petition: निर्भया रेप और हत्या के गुनाहगार अक्षय ठाकुर ने फांसी के खिलाफ पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में दर्ज करवाई है. याचिका में अजीब तर्क दिए हैं जिनमें दिल्ली के प्रदूषण से लेकर वेद का जिक्र किया गया है. अक्षय सिंह, जिसने पहले तीन अन्य दोषियों के साथ समीक्षा याचिका दायर नहीं की थी, ने अब याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया है.

Nirbhaya Rape Accused Submits Review Petition
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  • Last Updated: December 10, 2019 16:49:48 IST

नई दिल्ली. निर्भया रेप और हत्याकांड को दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार अर्जी में कई अजीबोगरीब दलीलें दी हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है? यही नहीं अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल तक जीने का हवाला दिया गया है. अर्जी में कहा गया है इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे. त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हज़ार साल तक जीता था लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50 से साल तक सीमित रह गई है. तो फिर फांसी की सज़ा देने की ज़रूरत नहीं है.

चार दोषियों में से एक, अक्षय सिंह ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में सभी को मौत की सजा देने के अपने 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. शीर्ष अदालत ने 9 जुलाई 2018 को मामले में तीन अन्य दोषियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. 31 साल के अक्षय ने अन्य तीन दोषियों के साथ पहले पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी, अब याचिका के साथ शीर्ष अदालत में अर्जी दी. शीर्ष अदालत ने पहले मुकेश (30 वर्षीय), पवन गुप्ता (23 वर्षीय) और विनय शर्मा (24 वर्षीय) की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए कहा कि फैसले की समीक्षा के लिए उनके द्वारा कोई आधार नहीं बनाया गया है.

शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा उन्हें यहां महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दी गई सजा को बरकरार रखा था. मामले के एक आरोपी राम सिंह ने यहां तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. एक किशोर, जो अभियुक्तों में से था, को एक किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी ठहराया गया था. तीन साल के कार्यकाल के बाद उसे रिफॉर्मेशन होम से रिहा कर दिया गया. बता दें कि 23 वर्षीय छात्रा के साथ 16-17 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस के भीतर छह व्यक्तियों ने क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे सड़क पर फेंकने से पहले गंभीर रूप से हमला किया था. उन्होंने 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया.

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