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ओवैसी का BJP पर तीखा वार, ‘ट्यूबलाइट हैं आप लोग, अदालत को क्यों धमका रहे?’

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर की गई विवादित टिप्पणी पर विपक्ष के नेताओं ने हमला बोला है। ओवैसी ने कहा कि बीजेपी के लोग इतने कट्टर हो गए कि अब अदालत को भी धमकी दे रहे हैं।

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  • Last Updated: April 20, 2025 07:26:49 IST

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को आड़े हाथों लिया है। ओवैसी ने कहा, “आप लोग ट्यूबलाइट हैं। अदालत को इस तरह धमकी दे रहे हैं। क्या आपको पता है कि संविधान का अनुच्छेद 142 क्या है? इसे भीमराव अंबेडकर ने बनाया था।”

धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही बीजेपी

ओवैसी ने आगे कहा, “भाजपा धोखाधड़ी कर रही है और अब धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है। सत्ता में रहकर आप इतने कट्टरपंथी हो गए हैं कि अदालत को भी धर्म के नाम पर डराने की कोशिश कर रहे हैं।”

मोदी जी देश माफ नहीं करेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, “अगर आपने इन लोगों को नहीं रोका तो देश कमजोर हो जाएगा। देश आपको माफ नहीं करेगा और आने वाले वक्त में आप सत्ता में भी नहीं रहेंगे।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में धार्मिक संघर्ष की स्थिति के लिए न्यायपालिका जिम्मेदार है। उन्होंने कोर्ट पर संसद की संप्रभुता को कमजोर करने और अपनी सीमाओं से बाहर जाकर कानून बनाने का आरोप लगाया। दुबे ने कहा कि अगर सभी निर्णय सुप्रीम कोर्ट को ही लेने हैं, तो फिर संसद और विधानसभाओं के अस्तित्व का क्या औचित्य रह जाता है?

अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं

दुबे का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कुछ ऐसे निर्देश दिए हैं जो संविधानिक व्यवस्था को चुनौती देने जैसे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर अदालतें राष्ट्रपति को आदेश देंगी, तो यह अराजकता की ओर बढ़ने का संकेत है। संसद कानून बनाती है, फिर कोर्ट नया कानून कैसे बना सकता है?”

तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया था

गौरतलब है कि 8 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। इसके अलावा 15 अप्रैल को वक्फ अधिनियम से जुड़े प्रावधानों पर भी कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिससे न्यायपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।

नड्डा बोले सांसदों के बयान से पार्टी का संबंध नहीं

निशिकांत दुबे के बयान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि पार्टी का इस बयान से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के व्यक्तिगत विचार हैं, जिनसे पार्टी सहमत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा हमेशा से ही न्यायपालिका का सम्मान करती आई है और संविधान के दायरे में सभी संस्थाओं की भूमिका को मान्यता देती है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाते हुए न्यायपालिका की असीमित शक्तियों पर चिंता जताई थी और इसे न्यायिक अतिक्रमण बताया था।

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