Shashi Tharoor News: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार द्वारा गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा गया है लेकिन उनकी अपनी पार्टी ने इस पर आपत्ति जताई है. इस विवाद के बीच थरूर ने सोमवार 19 मई 2025 को संवाददाताओं से कहा मैं इस विषय में बिल्कुल नहीं पड़ रहा हूं. और अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए इसे राष्ट्रीय हित से जोड़ा.
केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किए हैं. इनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर करेंगे. जो अमेरिका सहित पांच देशों का दौरा करेंगे. हालांकि कांग्रेस ने दावा किया कि उसने सरकार को चार सांसदों आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और राजा बरार के नाम सुझाए थे. जिनमें थरूर का नाम शामिल नहीं था. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता से बात की और राहुल गांधी ने चार नाम सुझाए लेकिन सरकार ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया.
तृणमूल कांग्रेस ने भी अपने एकमात्र प्रतिनिधि यूसुफ पठान को प्रतिनिधिमंडल से हटने का निर्देश दिया. यह कहते हुए कि उनकी सहमति नहीं ली गई. दोनों पार्टियों का आरोप है कि सरकार ने उनके नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श किए बिना चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया.
शशि थरूर ने इस विवाद को दरकिनार करते हुए अपनी नियुक्ति को राष्ट्रीय हित से जोड़ा. उन्होंने कहा केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने मेरे विदेश मामलों के अनुभव को देखते हुए मुझे आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया और मैंने तुरंत सहमति दे दी. मुझे इसमें कोई राजनीति नहीं दिखती. थरूर ने एक्स पर लिखा भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं. जब देश को मेरी जरूरत होगी, मैं पीछे नहीं हटूंगा. जय हिंद!
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस द्वारा सुझाए गए नामों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और यह मामला पार्टी और सरकार के बीच का है. उनकी यह टिप्पणी विपक्ष के आरोपों को शांत करने में प्रभावी रही क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे को व्यक्तिगत विवाद के बजाय राष्ट्रीय एकता से जोड़ा.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था. जिसमें 26 लोग मारे गए थे. इस सैन्य कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. सरकार ने इस ऑपरेशन की सफलता और पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करने के लिए सात प्रतिनिधिमंडल गठित किए. जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और अन्य सहयोगी देशों का दौरा करेंगे.
इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), बैजयंत पांडा (भाजपा), कनिमोझी करुणानिधि (द्रमुक), सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) और श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना) करेंगे. प्रत्येक डेलिगेशन में 5-6 सांसद और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे.
19 मई 2025 को संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति की बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव पर विस्तृत जानकारी दी. थरूर जो इस समिति के अध्यक्ष हैं. जिसने बैठक से पहले पत्रकारों से बातचीत में विवाद से दूरी बनाए रखने की कोशिश की. उनकी यह रणनीति उनकी कूटनीतिक समझ और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
कांग्रेस के भीतर थरूर की नियुक्ति ने आंतरिक मतभेदों को उजागर किया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी की अध्यक्षता में 15 मई को हुई अनौपचारिक बैठक में नेताओं को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर व्यक्तिगत राय देने के बजाय पार्टी लाइन का पालन करने की हिदायत दी गई थी. जयराम रमेश ने थरूर की टिप्पणियों से दूरी बनाते हुए कहा ये कांग्रेस के विचार नहीं हैं. कुछ नेताओं का मानना है कि थरूर ने केंद्र सरकार की कार्रवाई की प्रशंसा कर ‘लक्ष्मण रेखा’ पार की.