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इस्लामिक सहयोग संगठन ने कश्मीर को लेकर मोदी सरकार पर आपत्ति की जाहिर

दिल्ली। जम्मू कश्मीर के चुनावी क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयासों को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सचिवालय ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. आईओसी ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि भारत का यह प्रयास जम्मू कश्मीर के जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफी) ढांचे को बदलने और कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए […]

pm modi
inkhbar News
  • Last Updated: May 17, 2022 11:48:49 IST

दिल्ली। जम्मू कश्मीर के चुनावी क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयासों को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सचिवालय ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. आईओसी ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि भारत का यह प्रयास जम्मू कश्मीर के जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफी) ढांचे को बदलने और कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए कर रही है. बता दें कि आईओसी ने कहा की यह परिसीमन की प्रक्रिया का साफ तौर पर चौथे जिनेवा कन्वेंशन सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन है.

भारत सरकार की कड़ी निंदा

ओआईसी सचिवालय ने अपने पुराने रुख को अपनाते हुए जम्मू कश्मीर पर इस्लामिक समिट और ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद के फैसले का जिक्र करते हुए कश्मीरियों के आत्म संकल्प के अधिकारों को लेकर उनके साथ एकजुटता जाहिर की और कहा की इस तरह की प्रक्रियाओं की कड़ी निंदा की. ओआईसी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से यूएन सुरक्षा परिषद से इस तरह की परिसीमन प्रक्रियाओं के गंभीर नतीजों को लेकर जल्द ही संज्ञान लेने को कहा गया है. इससे पहले भी ओआईसी के स्वतंत्र स्थाई मानवाधिकार आयोग ने जम्मू कश्मीर के चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयासों को लेकर भारत सरकार की कड़ी निंदा की थी.

ओआईसी का भारत पर आरोप

बता दें कि एक बयान जारी करते हुए आयोग ने इसे ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं मानवीय कानूनों का भी उल्लंघन बताया था. ओआईसी के मानवाधिकार आयोग का कहना है कि यह चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए जम्मू कश्मीर के चुनावी डेमोग्राफ और डायनैमिक्स को बदलने का एक गंदा प्रयास है जिसका मकसद साफ और सीधा दिखाई देता है. यह सिर्फ सरकार का कश्मीर में अपनी पसंद की सरकार को सत्ता सौंपी जाने का प्रयास है, ताकि कश्मीर में हमारे अनुरुप सरकार चल सके. आयोग का कहना कि इन खुराफाती कदमों का उद्देश्य प्रदेश के भीतर मुस्लिम आबादी को अल्पसंख्यक आबादी में बदलना है और प्रदेश के लोगों के खुद फैसले लेने के अधिकारों में अड़चन पैदा करना है.

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