Indus Water Treaty: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द करने के बाद एक और कड़ा कदम उठाया है. जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार बांध से पानी का प्रवाह रोक दिया गया है. सूत्रों के अनुसार भारत अब झेलम नदी की सहायक नीलम नदी पर बने किशनगंगा बांध से भी पानी रोकने की तैयारी कर रहा है. इस कदम से पाकिस्तान में चिनाब और झेलम नदियों का जल प्रवाह रूप से कम हो सकता है. जिससे वहां सूखे और बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

पहलगाम हमले का जवाब

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत ने देश को झकझोर दिया था. भारत ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ते हुए 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. अब बगलिहार बांध से चिनाब नदी का पानी रोककर भारत ने अपनी मंशा साफ कर दी है. सूत्रों के हवाले से कहा गया है. चिनाब का पानी पाकिस्तान के पंजाब के खेतों को सींचता है. यह कदम पाकिस्तान को हर मोर्चे पर सजा देने का संदेश है.

बगलिहार और किशनगंगा

जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बना बगलिहार बांध (900 मेगावाट) और उत्तरी कश्मीर में झेलम की सहायक नीलम नदी पर बना किशनगंगा बांध (330 मेगावाट) भारत को जल प्रवाह को नियंत्रित करने की सामरिक क्षमता प्रदान करते हैं. ये दोनों बांध ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजनाएं हैं. जो बिजली उत्पादन के लिए सीमित जल भंडारण करती हैं. हालांकि समझौते के निलंबन के बाद भारत अब इन बांधों के जरिए पानी के प्रवाह को रोकने या अचानक छोड़ने की रणनीति कर सकता है. इससे पाकिस्तान में सूखे या बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं.

पाकिस्तान पर क्या होगा असर?

चिनाब और झेलम नदियां पाकिस्तान की कृषि और जलविद्युत उत्पादन की रीढ़ हैं. इन नदियों का 80% पानी पाकिस्तान की सिंचाई और बिजली जरूरतों को पूरा करता है. बगलिहार और किशनगंगा बांधों से पानी रोकने से पाकिस्तान में सूखे की स्थिति बन सकती है. खासकर सूखे मौसम (अप्रैल-मई) में. वहीं भारत द्वारा अचानक बांध खोलने से बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है. जो पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों को प्रभावित करेगा.

सिंधु जल समझौता क्या था यह?

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते ने इंडस नदी प्रणाली के छह नदियों को दो हिस्सों में बांटा था. पश्चिमी नदियां, सिंधु, चिनाब, और झेलम पाकिस्तान को आवंटित की गईं. जबकि पूर्वी नदियां रावि, ब्यास और सतलज भारत के नियंत्रण में दी गईं. समझौते के तहत पाकिस्तान को इंडस बेसिन के 80% जल का अधिकार मिला. जबकि भारत को 20%. भारत पश्चिमी नदियों का उपयोग गैर-उपभोगी कार्यों (जैसे जलविद्युत) के लिए कर सकता था लेकिन बड़े पैमाने पर भंडारण या डायवर्जन की अनुमति नहीं थी. 23 अप्रैल 2025 को भारत ने इस समझौते को निलंबित कर दिया. जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की घोषणा करार दिया.

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