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WHO चीफ को पीएम मोदी ने दिया ‘तुलसी भाई’ नाम

गांधीनगर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस को नया नाम दिया है, उन्होंने मंच से टेड्रोस गेब्रेयसस के नए नाम का ऐलान किया. पीएम ने गेब्रेयसस को ‘तुलसी भाई’ नाम दिया है. यह एक गुजराती नाम है. इससे पहले गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के […]

PM Modi gave new name to WHO chief
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  • Last Updated: April 20, 2022 18:44:15 IST

गांधीनगर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस को नया नाम दिया है, उन्होंने मंच से टेड्रोस गेब्रेयसस के नए नाम का ऐलान किया. पीएम ने गेब्रेयसस को ‘तुलसी भाई’ नाम दिया है. यह एक गुजराती नाम है. इससे पहले गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के उद्घाटन के दौरान WHO प्रमुख ने संबोधन की शुरुआत गुजराती भाषा में ही की थी. WHO चीफ ने सबसे पहले हाथ जोड़कर नमस्कार किया, इसके बाद उन्होंने गुजराती में लोगों से पूछा ‘केम छो’? और जब लोगों ने इसका जवाब दिया तो उन्होंने भी ‘मजा मा’ बोला.

इसी कड़ी में, आज प्रधानमंत्री मोदी ने गांधीनगर में वैश्विक आयुष निवेश एवं नवोन्मेष सम्मेलन में कहा, ” साल 2014 में आयुष क्षेत्र तीन अरब अमेरिकी डॉलर का था, जो अब बढ़कर 18 अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया है, उन्होंने ये भी कहा कि भारत पारंपरिक उपचार पद्धतियों के लिए देश में आने वाले लोगों के लिए जल्द ही आयुष वीजा श्रेणी शुरू करने वाला है. उन्होंने आगे कहा कि भारत बहुत जल्द आयुष मार्क भी पेश करने वाला है, जो देश के गुणवत्तापूर्ण आयुष उत्पादों को प्रामाणिकता देगा.

जामनगर में डब्ल्यूएचओ केंद्र की स्थापना एक नए युग की शुरुआत है- पीएम मोदी

बता दें कि मंगलवार को गुजरात के जामनगर में पीएम मोदी और WHO के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला रखी, इसी दौरान घेब्रेयसस ने अपनी मीठी गुजराती से सभी का दिल जीत लिया था. इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यहां डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीसीटीएम) की स्थापना विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के एक नए युग की शुरुआत है. पीएम मोदी ने इस अवसर पर आगे कहा कि, ‘इस समय भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में इस केंद्र के लिए यह शिलान्यास समारोह अगले 25 वर्षों तक दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है.’

 

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