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यौन उत्पीड़न मामलों में सियासी पार्टियों पर भी लगेगा का कानून का फंदा! POSH एक्ट तहत होगा ये इंतजाम

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई की जिसमें मांग की गई है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित POSH अधिनियम राजनीतिक दलों पर भी लागू होना चाहिए।

POSH Act on Political Parties

  • Published By: Neha Singh
  • December 18, 2024 12:13 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों पर पॉश (POSH) एक्ट लगाने की याचिका पर सुनवाई की। यह दफ्तरों में महिलाओं पर हो रहे यौन उत्पीड़न के लिए असरदार माना जाता है। लेकिन पॉश एक्ट राजनीति में काम कर रही महिलाओं के लिए लागू नहीं होता। ऐसे मामलों में जांच के लिए अलग कमेटी बनाई जाती है।

चुनाव आयोग बनाए सिस्टम

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस रॉबर्टसन की बेंच ने कहा कि याचिका कर्ती को सबसे पहले चुनाव आयोग से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यही एक ऐसी संस्था है, जो दबाव बनाने पर जोर दे सकती है कि वे यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए मजबूत सिस्टम बनाएं।

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क्या है POSH एक्ट

देश में कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए वर्ष 2013 में एक कानून बनाया गया था। इसे POSH एक्ट यानी यौन उत्पीड़न से सुरक्षा कहते हैं। इसकी धारा 3 (1) में कहा गया है कि कोई भी महिला यौन उत्पीड़न का शिकार नहीं होनी चाहिए यानी यह अधिनियम विशेष रूप से कार्यस्थलों पर लागू होता है। राजनीतिक मामले में कोर्ट ने माना कि यहां एम्प्लॉयर-एम्प्लॉई संबंध नहीं है और कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी संस्था या कंपनी का हिस्सा नहीं है। इस तरह यह तय हुआ कि पार्टियां इससे बाहर रह सकती हैं।

अभी क्या कर रही हैं  पार्टियां

अभी राजनीतिक दल आंतरिक मामलों के लिए अपनी समितियां बनाते हैं। उदाहरण के लिए कांग्रेस की बात करें तो उसके पास संविधान और नियम हैं, जिसमें समिति के पदाधिकारी आदि शामिल हैं। उच्च स्तर पर समिति के बाकी सदस्यों के नैतिक आचरण पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने का अधिकार है। इसी तरह भाजपा में अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति है जो राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर काम करती है।

दोनों ही पार्टियों में नियम तोड़ने के लिए कानून हैं लेकिन यौन उत्पीड़न की कोई अलग श्रेणी नहीं है। साथ ही, इन समितियों में महिला सदस्य का होना जरूरी नहीं है, जो POSH की एक प्रमुख शर्त है।

क्या राजनीतिक पार्टियों पर लागू हो सकता है POSH एक्ट

अगर कोर्ट या चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर पॉश एक्ट लागू करना चाहता है तो उसे यह भी तय करना होगा कि इस मामले में एम्प्लॉयर कौन है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए आंतरिक समिति बनाना उसकी जिम्मेदारी है।

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Neha Singh

निर्भीक और बेबाक हूं। शब्दों से खेलना अच्छा लगता है। देश दुनिया की व्यवस्थाएं चाहे वो अच्छी हो या बुरी जनता तक बिना किसी परत के पहुंचाना चाहती हूं, इसलिए पत्रकार भी हूं। राजनीति में रुचि है, साथ ही कभी कभी इतिहास के पन्ने भी खोल कर देखती रहती हूं।

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Neha Singh
Tags: POSH Act
6 months ago

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