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‘गरीब ब्राह्मणों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है’, CEO के आरक्षण विरोधी बयान से सोशल मीडिया पर बवाल

बेंगलुरु की उद्यमी और कंटेंट राइटिंग कंपनी जस्टबर्स्टआउट की सीईओ, अनुराधा तिवारी ने हाल ही में एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट

Bengaluru CEO Anuradha Tiwari
inkhbar News
  • Last Updated: September 5, 2024 18:50:22 IST

नई दिल्ली: बेंगलुरु की उद्यमी और कंटेंट राइटिंग कंपनी जस्टबर्स्टआउट की सीईओ, अनुराधा तिवारी ने हाल ही में एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नई बहस छेड़ दी है। इस पोस्ट में उन्होंने अपनी ट्राइसेप्स दिखाते हुए एक तस्वीर साझा की और इसके कैप्शन में लिखा, “ब्राह्मण जीन,” जिसे कई लोगों ने आपत्तिजनक और उत्तेजक माना।

गरीब ब्राह्मणों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है

अनुराधा तिवारी ने एक और पोस्ट के जरिए फिर से हलचल मचा दी। उन्होंने 19 साल की एक ब्राह्मण लड़की की आत्महत्या की खबर शेयर की और लिखा, “एक ब्राह्मण लड़की ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पिता उसकी शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते थे। आरक्षित श्रेणियों के लिए बजट आवंटन लगभग 2.8 लाख करोड़ है। उनके लिए लाखों करोड़, जबकि गरीब ब्राह्मणों और सामान्य श्रेणी को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि हमें एकजुट होकर लड़ना चाहिए!”

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

अनुराधा तिवारी ने इस मुद्दे पर आगे बढ़ते हुए लिखा, “एक भी राजनेता ने इस ब्राह्मण लड़की की आत्महत्या के बारे में बात नहीं की है! अगर वह आरक्षित समुदाय से होती, तो वे बहुत हंगामा मचाते। चूंकि वह ब्राह्मण है, इसलिए किसी को कोई परवाह नहीं है – न वामपंथी और न ही दक्षिणपंथी।”

पहले भी किया था आरक्षण का विरोध

यह पहली बार नहीं है जब अनुराधा तिवारी ने जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाई है। अगस्त 2022 में उन्होंने ट्वीट किया था, “मैं सामान्य श्रेणी की छात्रा हूँ। मेरे पूर्वजों ने मुझे 0.00 एकड़ ज़मीन दी है। मैं किराए के घर में रहती हूँ। मुझे 95% अंक प्राप्त करने के बावजूद प्रवेश नहीं मिल सका, लेकिन मेरे सहपाठी जिसने 60% अंक प्राप्त किए और जो एक संपन्न परिवार से है, उसे प्रवेश मिल गया। और आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे आरक्षण से परेशानी क्यों है?”

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर अनुराधा तिवारी की पोस्ट ने बवाल मचा दिया। कुछ लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया और कुछ ने उन्हें “बेशर्म ब्राह्मण” कहा । वहीं, कुछ ने किशोरी को “जातिगत भेदभाव का शिकार” बताया। हालांकि, बहुत से लोगों ने अनुराधा की आलोचना भी की। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “आप आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के बारे में खुद को शिक्षित करने के बजाय हर चीज के लिए एससी और एसटी को दोषी ठहरा रहे हैं।”

कई लोगों ने उठाए सवाल

एक अन्य यूजर ने पूछा, “अगर वे गरीब हैं, तो क्या वे आरक्षण का लाभ पाने के लिए ईडब्ल्यूएस के लिए पात्र नहीं हैं या वे अध्ययन ऋण नहीं ले सकते हैं, जो कई छात्र अपनी शिक्षा के लिए लेते हैं?” एक और यूजर ने कहा, “क्या आप उसकी आत्महत्या के फैसले को सही ठहरा रही हैं? आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।”

आरक्षण के खिलाफ क्यों हैं लोग?

एक और यूजर ने लिखा, “ये लोग आरक्षण के खिलाफ क्यों हैं? सामान्य वर्ग का व्यक्ति होने के नाते मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि जो कुछ भी मैं पाने का हकदार था, वह आरक्षण वाले व्यक्ति ने छीन लिया है। यह उनका अधिकार है। संविधान ने सही कहा है…”

 

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