नई दिल्ली: अयोध्या नगरी के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का विधान आज पूरा हो गया। 500 साल के लंबे इंतजार के बाद आज भगवान राम अपने घर लौट आए हैं। जहां इससे पहले पीएम मोदी के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष ने जमकर सवाल उठाए थे। वहीं कार्यक्रम(Ram Mandir) को संबोधित करते हुए पीएम ने बिना किसी का नाम लिए सवालों के जवाब दिए और संविधान का उदाहरण देते हुए समझाया है।
क्या कहा पीएम मोदी ने?
बता दें कि कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत संविधान में ही उसकी पहली प्रति में भागवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी कई दशकों तक प्रभु श्री राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली है। मैं भारत की न्यायपालिका का पूरे दिल का आभार व्यक्त करूंगा, जिन्होंने न्याय की लाज रख ली।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज मैं भगवान श्री राम से भी क्षमा मांगता हूं। हमारे त्याग, पुरुषार्थ और तपस्या में अवश्य ही कुछ कमी रही होगी कि हम इतनी शताब्दियों तक इसका सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ, आज काम पूरा हो गया है और मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज(Ram Mandir) हमें अवश्य क्षमा करेंगे।
राम के रूप में राष्ट्रीय चेतना का मंदिर है: पीएम
जानकारी दे दें कि प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह राम के रूप में राष्ट्रीय चेतना का मंदिर है। प्राभु राम भारत की आस्था, नींव, विचार, कानून, प्रतिष्ठा, महिमा, नेता, नीति और शाश्वत हैं। जब राम का सम्मान किया जाता है, तो उसका प्रभाव वर्षों या सदियों तक नहीं रहता, बल्कि उसका प्रभाव हजारों वर्षों तक रहता है।
विपक्षी दलों पर साधा निशाना
राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वो भी एक समय था जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए। इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के धैर्य, शांति आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। हम सब देख रहे हैं कि ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है।
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