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Rename Habibganj Railway Station: हबीबगंज नहीं अब रानी कमलावती है भोपाल के इस स्टेशन का नाम, जानिए कौन थी रानी कमलावती

नई दिल्ली. Rename Habibganj Railway Station इंडियन रेलवे और भारत सरकार की लगातार यह कोशिश रहती है की वे यात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधा प्रदान करे. ऐसे में लगातार रेलवे के में कई बदलाव और सुधार किए जाते रहते हैं. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे. यह […]

Rename Habibganj Railway Station
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  • Last Updated: November 15, 2021 13:48:11 IST

नई दिल्ली. Rename Habibganj Railway Station इंडियन रेलवे और भारत सरकार की लगातार यह कोशिश रहती है की वे यात्रियों को बेहतर यात्रा सुविधा प्रदान करे. ऐसे में लगातार रेलवे के में कई बदलाव और सुधार किए जाते रहते हैं. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे.

यह स्टेशन पीपीपी मोड के तहत बना देश का पहला मॉडल स्टेशन है. बता दें कि भोपाल के इस स्टेशन का नाम हबीबगंज था जो अब रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा. मध्यप्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन जारी होते ही स्टेशन का नाम बदल दिया गया है। हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति किए जाने के बाद रेलवे ने नया कोड भी जारी कर दिया है.

ये गर्व, आनंद व उत्साह का क्षण है: शिवराज सिंह चौहान

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने Koo प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर कहा कि ये गर्व, आनंद व उत्साह का क्षण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त रेलवे स्टेशन तैयार करवाया और अब इसका नाम हबीबगंज से बदलकर अंतिम हिंदू रानी गोंड वंश की रानी कमलापति जी के नाम किया है. हम सभी प्रधानमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद करते हैं.

कौन थीं रानी कमलापति

हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम जिन साहसी और बहादुर रानी के नाम पर रखा गया आपको बताते हैं वह रानी कौन हैं. दरअसल, बाड़ी जिला रायसेन के अंतिम शासक चैन सिंह 16वी ईस्वीं में रहा. ईसवी 16वी सदी में सलकनपुर जिला सीहोर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया थे. उनके शासन काल में वहाँ की प्रजा बहुत खुश और समपन्न रहा करती थी. उनके यहाँ एक खूबसूरत कन्या का जन्म हुआ. वह बचपन से ही कमल की तरह बहुत सुंदर थी और उसकी सुंदरता को देखते हुए उसका नाम कमलापति रखा गया. इसके अलावा रानी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और साहसी थी और शिक्षा, घुड़सवारी, मल्लयुद्ध, तीर-कमान चलाने में उन्हें महारत हासिल थी. वह अनेक कलाओं में पारंगत होकर कुशल प्रशिक्षण प्राप्त कर सेनापति बनी.

वह अपने पिता के सैन्य बल के साथ और अपने महिला साथी दल के साथ युद्धों में शत्रुओं से अक्सर लोहा लेती नज़र आती थीं. पड़ोसी राज्य अकसर खेत, खलिहान, धन-सम्पत्ति लूटने के लिए आक्रमण किया करते थे और सलकनपुर राज्य की देख-रेख करने की पूरी जिम्मेदारी राजा कृपाल सिंह सरौतिया और उनकी राजकुमारी कमलापति की थी, जो आक्रमणकारियों से लोहा लेकर अपने राज्य की रक्षा करती थीं.

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