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कमज़ोर पड़ रहा है INDIA? क्षेत्रीय राजनीति ने बढ़ाईं विपक्षी गठबंधन की मुश्किलें

नई दिल्ली: केरल में पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या ने एक बार फिर विपक्षी गुट INDIA के भीतर दरार पैदा कर दी है. दरअसल इस मामले ने क्षेत्रीय राजनीति की लड़ाई शुरू कर दी है जो विपक्षी महागठबंधन के मिशन 2024 में भाजपा को मात देने के मिशन से टकरा रही […]

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  • Last Updated: July 31, 2023 21:01:07 IST

नई दिल्ली: केरल में पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या ने एक बार फिर विपक्षी गुट INDIA के भीतर दरार पैदा कर दी है. दरअसल इस मामले ने क्षेत्रीय राजनीति की लड़ाई शुरू कर दी है जो विपक्षी महागठबंधन के मिशन 2024 में भाजपा को मात देने के मिशन से टकरा रही है। ये भयावह घटना है जिसमें आरोपी और पीड़ित दोनों ही प्रवासी वर्ग के हैं. इस वारदात ने केरल कांग्रेस को सीपीएम के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार पर सवाल करने के लिए मजबूर कर दिया है. ऐसे में क्षेत्रीय स्तर की राजनीति से राष्ट्रीय सियासत गरमा गई है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल राज्य कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर केरल सरकार के गृह विभाग पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है. साथ ही राज्य कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन जल्द से जल्द अपना इस्तीफा दें. इस ट्वीट के अनुसार, ‘मुख्यमंत्री बच्चों के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते।’ दूसरी ओर राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की है. साथ ही उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है. इस एक वारदात ने ये साफ़ कर दिया है कि विपक्षी दलों के महाजुटान से बने INDIA मोर्चे को एक करने की कवायद कितनी मुश्किल है.

 

हालांकि ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर TMC और आम आदमी पार्टी आमने सामने आ गई थी. इस घटना ने भी भाजपा को विपक्षी दलों के महागठबंधन की खिल्ली उड़ाने के लिए खूब प्रेरित किया था.

 

टीएमसी और क्षेत्रीय दल

अब केरल सरकार को भी इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि इसी महीने की शुरुआत में विपक्षी दलों ने अपना सम्मलेन बेंगलुरु में किया था जिसकी मेज़बानी कांग्रेस ने की थी. इस दौरान सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने बंगाल में तृणमूल के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था, “ममता बनर्जी और सीपीआई (एम) साथ नहीं होंगे। बंगाल में वामपंथियों और कांग्रेस के साथ धर्मनिरपेक्ष दल होंगे जो भाजपा और टीएमसी के खिलाफ लड़ेंगे।”

टिक पाएगी विपक्षी एकता?

लोकसभा में कांग्रेस के नेता और पार्टी के बंगाल प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने भी पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा को लेकर तृणमूल की आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य में “आतंक का राज” है। दूसरी ओर दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ अपने टकराव को नज़रअंदाज़ करते हुए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल सरकार को अपना समर्थन दे दिया था. अब देखने वाली बात ये है कि क्षेत्रीय सियासत का आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता पर कितना प्रभाव पड़ता है.