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बेरोजगारी के मुद्दे पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को देश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे पर अपनी राय रखी, उन्होंने देश में बढ़ती बेरोजगारी का मुख्य कारणों में से एक श्रम के प्रति सम्मान की भावना ना होना बताया। भागवत ने लोगों से सभी तरह के काम का सम्मान करने का आग्रह […]

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  • Last Updated: February 6, 2023 07:13:51 IST

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को देश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे पर अपनी राय रखी, उन्होंने देश में बढ़ती बेरोजगारी का मुख्य कारणों में से एक श्रम के प्रति सम्मान की भावना ना होना बताया। भागवत ने लोगों से सभी तरह के काम का सम्मान करने का आग्रह करते हुए उनसे नौकरियों के पीछे भागने से मना किया।

क्या बोले भागवत ?

भागवत ने कहा लोग अपने जीवन को चलाने के लिए किसी भी तरह का काम करें, लोगों को उनका सम्मान करना चाहिए। श्रम के लिए सम्मान की कमी समाज में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। काम के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या सॉफ्ट कौशल की सभी का सम्मान किया जाना चाहिए।

आज के समय में हर कोई नौकरी के पीछे भागता है, देश में सरकारी नौकरियां केवल 10 प्रतिशत के आस-पास हैं, जबकि अन्य नौकरियां लगभग 20 प्रतिशत हैं। दुनिया का कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां उत्पन्न नहीं कर सकता। इसलिए समाज को जिस कार्य में श्रम की जरूरत होती है, उसका सभी को सम्मान करना चाहिए। देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जो खेती से बहुत अच्छी आय अर्जित करने के बावजूद विवाह करने के लिए संघर्ष करते हैं। देश में आज की स्थिति विश्वगुरु बनने के अनुकूल है। इस समय देश में कौशल की कोई कमी नहीं है।

अस्पृश्यता का किया विरोध

भागवत ने समाज में व्याप्त अस्पृश्यता का विरोध करते हुए कहा कि, देश में अस्पृश्यता  को लेकर संतों के अलावा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे जाने माने लोगों ने विरोध किया है। अस्पृश्यता से परेशान होकर, डॉ आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म को नहीं अपनाया बल्कि गौतम बुद्ध द्वारा दिखाए गए मार्ग को चुना। उनकी शिक्षाए भारत की सोच में भी बहुत गहारई तक समाई हुई हैं।