नई दिल्ली : कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों के खिलाफ टैरिफ लगाने की धमकी पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे में सच्चाई कोसों दूर हैं और ब्रिक्स देशों की अमेरिकी डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा में व्यापार करने की कोई योजना नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ब्रिक्स के पास डॉलर के विकल्प के तौर पर वैकल्पिक मुद्रा शुरू करने का कोई गंभीर प्रस्ताव नहीं है और उन्होंने डॉलर को दुनिया के अधिकांश देशों के लिए व्यावहारिक सुविधा बताया।
ब्रिक्स देशों पर टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी पर शशि थरूर ने कहा, “मैंने राष्ट्रपति ट्रंप को ये टिप्पणियां करते सुना है, लेकिन सच्चाई यह है कि ब्रिक्स के पास डॉलर के विकल्प के तौर पर कोई वैकल्पिक मुद्रा लाने का कोई गंभीर प्रस्ताव नहीं है। दुनिया के ज़्यादातर देशों के लिए डॉलर एक व्यावहारिक सुविधा है। इस पर कुछ चर्चा हो सकती है और हमारे पास निश्चित रूप से रूस के साथ रुपया-रूबल व्यापार, ईरान के साथ रुपया-रियाल व्यापार वगैरह के कुछ उदाहरण हैं।
वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के लिए जो कहा गया वह असंभव नहीं है। फिर भी, मुझे नहीं लगता कि ऐसा करने की कोई ठोस योजना है। इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रम्प की धमकियां मुझे खोखली लगती हैं क्योंकि यह तभी संभव है जब कोई वास्तविक प्रस्ताव आए और भारत जैसे देश इसे गंभीरता से आगे बढ़ाएं। मुझे ऐसे प्रस्ताव के लिए भारत सरकार में कोई समर्थन नहीं दिखता। इसलिए, जब तक ऐसा नहीं होता, हमें चिंता नहीं करनी चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से कह रहे हैं कि ब्रिक्स देश एक ऐसी मुद्रा विकसित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं जो अमेरिकी डॉलर की जगह ले सके। ट्रंप ने गुरुवार (30 जनवरी 2025) को एक बार फिर इस बात को दोहराया और एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ” ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं और हम खड़े होकर देखते हैं, खत्म हो चुका है।
हमें इन विरोधी देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बिक्री (निर्यात) को अलविदा कहने की उम्मीद करनी चाहिए। वे किसी दूसरे देश की तलाश कर सकते हैं। यह संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और कोई भी देश जो ऐसा करने की कोशिश करता है, उसे टैरिफ का वेलकम करना होगा और अमेरिका को अलविदा कहना चाहिए।
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