यूपी के बांदा जिले के मटौंध थाना क्षेत्र की निवासी शहजादी को भारत सरकार नहीं बचा पाई. भारतीय विदेश मंत्रालय और यूएई में भारतीय दूतावास ने हर संभव कोशिश की लेकिन बात नहीं बन पाई. शहजादी पर दुधमुंहे बच्चे की हत्या का आरोप था. दुबई में शरिया कानून चलता है और उसी कानून के मुताबिक यह सजा हुई थी. शहजादी के माता पिता परेशान होकर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब सरकार ने हाईकोर्ट में बताया है कि उसे फांसी दी जा चुकी है. यूएई सरकार ने 28 फरवरी को आधिकारिक रूप से भारतीय दूतावास को सूचित किया कि शहजादी खान की सजा पर 15 फरवरी 2025 को अमल कर दिया गया. अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या शहजादी का शव उसके परिजनों को मिलेगा और अंतिम संस्कार के लिए उसके पार्थिव शरीर को भारत लाया जा सकेगा या नहीं?
शहजादी को हो गई फांसी
भारत की शहजादी को 15 फरवरी को (UAE) दुबई में फांसी दे दी गई. शहजादी अबू धाबी के बथबा जेल में बंद थी. उसे दुबई में 4 माह के एक बच्चे की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारतीय दूतावास ने शहजादी को बचाने की पूरी कोशिश की, यहां तक कि यूएई सरकार के पास दया याचिका भी लगाई लेकिन वहां के कानून के अनुसार, उसे 15 फरवरी को फांसी दे दी गई.
शहजादी का शव भारत नहीं आएगा
अब 5 मार्च को UAE में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा. यूएई सरकार ने 28 फरवरी को भारतीय दूतावास को बताया कि 15 फरवरी को ही शहजादी को फांसी दी जा चुकी है. अंतिम संस्कार के लिए उसका शव भारत नहीं आएगा.
शहजादी की दर्द भरी दास्तां
शहजादी की दर्द भरी दास्तां शुरू होती है साल 2021 से. आगरा के रहने वाला उजैर ने शहजादी को पहले प्रेमजाल में फंसाया और उसके बाद दुबई में अपने रिश्तेदार के यहा छोड़ गया. दिसंबर 2021 में शहजादी को अबू धाबी का वीजा मिला और वह दुबई होते हुए UAE पहुंचीं. वहां पर उजैर के रिश्तेदार के चार महीने के बेटे की हत्या का आरोप उस पर लगा. केस अदालत में पहुंचा और शहजादी को फांसी की सजा सुनाई गई. हालांकि शहजादी के माता-पिता ने भारत सरकार से बेटी की जान बचाने की गुहार लगाई, सरकार ने कोशिश भी लेकिन वहां का सख्त कानून भारी पड़ा और शहजादी की जान नहीं बचाई जा सकी.
दुर्लभतम मामलों में मृत्युदंड
आपको बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) एक इस्लामिक देश है. यहां शरिया कानून भी चलता है. हालांकि, यहां मृत्युदंड काफी दुर्लभतम मामलों में दिया जाता है. इसमें हत्या, आतंकवाद, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, ड्रग तस्करी, देशद्रोह, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा, इस्लाम की निंदा या पैगंबर का अपमान जैसे अपराध शामिल हैं. लोअर कोर्ट से सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट के बाद भी एक मौका मिलता है और कोई भी राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगा सकता है. यदि राष्ट्रपति माफ कर देते हैं, तो सजा को उम्रकैद या अन्य दंड में बदला जा सकता है. शहजादी के मामले में राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लगाई गई थी लेकिन वहां भी रियायत नहीं मिली.
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